चंदौली। नए किरदार आते जा रहे हैं, मगर नाटक पुराना चल रहा है। मरहूम राहत इंदौरी साहब के इस शेर का सीधा सा अर्थ यही है कि सियासत हर समय अपने रंग-ढंग बदलती रहती है। सैयदराजा विस क्षेत्र के एक पूर्व विधायक मनोज सिंह को ही ले लीजिए। एक समय था कि सबकुछ आसानी से मिलता चला गया। लेकिन कथनी और करनी का अंतर बढ़ा तो सियासत में दूसरी पारी खेलने का सपना तीसरा स्थान पाकर चकनाचूर हो गया। लेकिन कहावत है कि सियासत का नशा जिसको लग जाए तो उसकी लत आसानी से नहीं छूटती। लिहाजा पूर्व विधायक जी की राजनीति अब उसी मोड़ कर आकर खड़ी हो गई है।
आंदोलन से किसानों का कितना भला हुआ यह तो नहीं पता लेकिन रेलवे ट्रैक जाम होने के रेल को काफी नुकसान हुआ। ट्रेनें विलंबित हुईं और हजारों यात्रियों का सफर प्रभावित हुआ। रेलवे ने धाराओं को जो चाबुक चलाया उसी का नतीजा निकला कि पूर्व विधायक अब जेल में हैं। जेल में हैं तो इसका फायदा भी मिलना चाहिए।
लिहाजा पूरे प्लान के तहत जेल यात्रा की ब्रांडिंग भी जोर-शोर से शुरू कर दी गई है। प्रचार-प्रसार में लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। जगह-जगह बैनर और पोस्टर लगाए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी खूब लिखा-पढ़ा जा रहा है। पूर्व विधायक को क्रांतिकारी और गरीबों और मजलूमों का मसीहा बताने के जोर-जतन किए जा रहे हैं। लेकिन ये पब्लिक है सब जानती है….!!
रिपोर्ट-अमित कुशवाहा