भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने छह दशकों के सार्वजनिक जीवन में आदर्शो की स्थापना की। उन्होंने सदैव विचारधारा को महत्व दिया। उनका किसी से व्यक्तिगत दुराव नहीं था। इसलिए उन्हें अजातशत्रु कहा गया। विपक्ष में रहे तो सरकार की गलत नीतियों का विरोध किया। सता में रहकर सुशासन स्थापित किया। इसलिए उनकी जन्म जयंती सुशासन दिवस के रुप में मनाई जाती है। ऐसे ही एक कार्यक्रम को राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने सम्बोधित किया।
उन्होंने कहा कि अटल जी की जयन्ती पर हम सभी को संकल्प लेना होगा कि जनता को सीधे लाभ देने वाली केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी लोगों तक पहुंचाएं। अटल जी का मानना था कि जीवन को टुकड़े में नहीं समग्रता में देखना चाहिए। सुशासन तभी आयेगा जब हम समस्याओं के बारे में समग्रता में सोचेंगे ओर उन्हें सुलझाने का प्रयास करेंगे। सुशासन का असली मकसद है कि सुविधाएं सभी नागरिकों तक पहुंचे,सबको अवसर मिले और हर नागरिक सुरक्षित महसूस करें।
आरोग्यमेव अटल अमृतम
आनंदीबेन पटेल ने अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा आयोजित प्रथम व्याख्यानमाला को राजभवन से आनलाइन सम्बोधित किया। कहा कि स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी की स्मृति में स्थापित यह चिकित्सा विश्वविद्यालय अपने आदर्श ध्येय वाक्य आरोग्यमेव अटल अमृतम की भावना से प्रदेश के सभी चिकित्सा संस्थाओं में चिकित्सा ज्ञान का प्रसार और उसकी अभिवृद्धि में सहयोग करता रहेगा।
अटल जी का उदार चिंतन
राज्यपाल ने कहा कि स्वर्गीय अटल जी के त्यागपूर्ण नेतृत्व ने अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर देश का जो मान सम्मान बढ़ाया, वह सदैव याद रखा जायेगा। जनसामान्य विशेषकर युवा वर्ग श्रद्धेय अटल जी के आदर्श मूल्यों से प्रेरणा लेकर देश की एकता और अखण्डता को सुदृढ़ करने तथा भारत को विश्व में सर्वाधिक विकसित राष्ट्र बनाने में रचनात्मक भूमिका का निर्वहन करेंगे।
अटल जी लोकतांत्रिक एवं मानवतावादी मूल्यों की स्थापना के कार्य में सतत् प्रयासरत रहे तथा उनका सम्पूर्ण जीवन पारस्परिक प्रेम,विश्व बन्धुत्व, भाईचारा एवं सहिष्णुता की स्थापना हेतु समर्पित रहा।
सुदृढ़ आंतरिक व विदेश नीति
स्वर्गीय अटल जी ने आजादी के बाद भारत की घरेलू एवं विदेश नीति को आकार देने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। राज्यपाल ने कहा कि अटल जी विश्व के प्रति उदारवादी सोच और लोकतांत्रिक आदर्शों की प्रतिबद्धता को महत्व देते थे।