इस गणतंत्र दिवस पर उत्तर प्रदेश सरकार ने उम्रदराज कैदियों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। योगी सरकार के आदेश के अनुसार बुजुर्ग और गंभीर बीमारियों से पीड़ित लगभग 500 कैदी जेल से रिहा हो सकते हैं। इनमें लखनऊ की आदर्श जेल, नारी बंदी निकेतन के अलावा बरेली, आगरा, वाराणसी, फतेहगढ़ और प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल और जिला जेल के कैदी रिहाई के पात्र होने वाले हैं।
प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने रिहा होने वाले कैदियों का ब्यौरा शासन को भेजने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद डीजी जेल आनन्द कुमार ने ब्यौरा सरकार को सौंप दिया था। हालांकि, कैदियों की रिहाई का आखिरी फैसला राज्यपाल का ही होता है।
जब बुजुर्ग महिला कैदियों को देख भावुक हुईं राज्यपाल
बताते चलें कि 21 नवंबर को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल का जन्मदिन था। इस दौरान वह नारी बंदी निकेतन की महिला कैदियों से मिलने गयीं थीं और उनके साथ अपना जन्म दिन मनाया था। वहां पर राज्यपाल बजुर्ग महिला कैदियों की स्थिति देखकर भावुक हो गई थीं। उन्होने कई महिला कैदियों से बात भी की थी। ऐसे में उन्होंने उम्रदराज महिला कैदियों को रिहा करने का आश्वासन दिया था। इसके बाद ही राज्यपाल ने डीजी जेल आनंद कुमार और डीएम अभिषेक प्रकाश से महिला कैदियों का ब्यौरा मांगा था।
जानकारी के मुताबिक, राज्य की जेलों से करीब 800 कैदियों के केस आए थे। इनमें रिहाई के लिए सभी मानक पूरे करने वाले 500 कैदी पाए गए। सभी कैदियों का ब्यौरा डीजी जेल ने शासन को दे दिया है। अब शासन स्तर पर बनाई गई कमेटी ब्यौरा देख कर इन पर विचार करेगी।
क्या हैं रिहाई के मानक
उत्तर प्रदेश सरकार ने रिहाई की जो स्थायी नीति तैयार की है, उसके तहत 16 साल की सजा काट चुके अच्छे चाल-चलन वाले कैदियों को रिहा किया जा सकता है।महिला और कैंसर, किडनी, दिल की बीमारी या ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित कैदियों को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही, 80 या उससे ज्यादा साल की उम्र वाले पुरुष कैदी भी रिहाई के पात्र होंगे।