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विषम परिस्थितियों में बेहतरीन बजट

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय वर्ष २०२१-२२ के लिए संसद में जो बजट प्रस्तुत किया, वह बेहद विषम परिस्थितियों में देश की दशा एवं दिशा को सुधारने एवं अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। विपक्ष को छोड़कर देश के सभी क्षेत्र से सम्बद्ध लोगों, उद्योगपतियों,शिक्षाविदों एवं आर्थिक विशेषज्ञों ने बजट को साहसिक एवं प्रभावी कदमों से परिपूर्ण बताया है। कोविड १९ से उत्पन्न संकट एवं चुनौती से सबक लेते हुए वित्त मंत्री ने इस बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए २.२४लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया जो गत वर्ष की तुलना में १३७ प्रतिशत अधिक है।

यह समय की मांग के अनुरूप होने के साथ साथ वर्षों से लम्बित बदलाव की तरफ बढ़ाया गया महत्वपूर्ण कदम है। जन भावनाओं को ध्यान में रखकर कोरोना वैक्सीनेशन के लिए भी ३५००० करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। बजट का अगला फोकस देश की अधोसंरचना के विकास पर जोर दिया जाना है। वित्त मंत्री की यह सोच तर्कसंगत एवं सराहनीय है कि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने एवं पुनरुद्धार की प्रक्रिया को गति प्रदान करने के लिए अधोसंरचना का विकास ही एकमात्र उपाय है। इससे अर्थव्यवस्था की विकास दर बढ़ाने एवं रोजगार उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी।

अधोसंरचना विकास पर कुल ३.३४ लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए जिससे सड़क, बंदरगाह, पुल,हवाई अड्डे आदि का विकास हो सकेगा। सड़क निर्माण के लिए १.१८ लाख करोड़ रुपये दिए गए हैं जिससे इस वर्ष में ८५०० किमी सड़क बनेंगी। चार राज्यों को बड़े हाइवे प्रोजेक्ट भी दिए गए हैं। यह राज्य पं बंगाल, केरल, तमिलनाडु हैं जहाँ निकट भविष्य में चुनाव अपेक्षित हैं। विपक्ष के लिए यह एक मुद्दा हो सकता है। रेलवे में पूंजीगत व्ययों के लिए ११००५५ करोड़ रुपये दिए गए है जो पिछले वर्ष से ३८००० करोड़ रुपये अधिक है।

ईस्टर्न एवं वेस्टर्न डेडीकेटड फ्रंट कारीडोर के जून २०२२ तक चालू होने की बात है तो ब्राड गेज रूट के शत प्रतिशत विद्युतीकरण का काम भी २०२३ तक पूरा हो जाने की उम्मीद है। अधोसंरचना पर पूंजीगत व्यय में २०२०-२१ की तुलना में ३४.५ की महत्वपूर्ण वृद्धि की गई है। कृषि अधोसंरचना के विकास के लिए ४०००० करोड़ रुपये से एक फंड भी बनाने की घोषणा की गई है। २७ शहरों में मैट्रो सेवा के विस्तार पर जोर दिया गया जिसमें ६३००० करोड़ रुपये की लागत से चेन्नई में १८० किमी मैट्रो रुट सबसे बड़ा है। बंगलूरू में भी १४७२८ करोड़ रुपये से ५८ किमी का मैट्रो रुट प्रस्तावित है।

वित्त मंत्री महोदया ने अपने बजट भाषण में काफी समय कृषकों को तथ्यों एवं आंकड़ों के साथ यह समझाने का प्रयास किया कि उनकी सरकार ने एम एस पी पर सरकारी खरीद विभिन्न फसलों के लिए गत वर्ष की तुलना में अधिक की है तथा एम एस पी में भी पिछले छः वर्षों में महत्वपूर्ण वृद्धि की। सरकार मंडियों की चली आ रही व्यवस्था जारी रखने के प्रति गम्भीर है और १००० नई मंडियों को डिजिटल बनाने का कार्य इस वर्ष करेंगी। किसानों के लिए रियायती दर पर कर्ज हेतु १६.५ लाख करोड़ रुपये उपलब्ध कराये गए हैं।

कृषि अधोसंरचना के विकास हेतु पेट्रोल पर २.५० रूपया एवं डीज़ल पर ४.०० रूपया प्रति लीटर सेस लगाया गया है परन्तु इसका भार ग्राहकों पर नहीं पड़ेगा। लघु एवं मध्यम उद्योग के लिए १५४०० करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। मनरेगा के लिए भी ७३००० करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। शिक्षा के क्षेत्र में १०० सैनिक स्कूल एवं ७५० एकलव्य माडल स्कूल खोलने और लेह में विश्वविद्यालय बनाने का भी प्रस्ताव है। अनुसंधान एवं विकास के लिए ५०००० करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं जो अगले पाँच वर्षों में खर्च किए जाएंगे। यह भी एक महत्वपूर्ण कदम है। उज्जवला योजना के तहत एक करोड़ कनेक्शन इस वर्ष और दिए जाऐंगे। मिशन पोषण २.०की शुरूआत की जाएगी। पब्लिक परिवहन को गति देने के लिए २०००० नई बसें खरीदने का लक्ष्य है। बैंकों को पूंजीकरण के लिए २०००० करोड़ रुपये उपलब्ध कराये जाऐंगे। बिजली क्षेत्र के लिए तीन लाख करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।

वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने जो बजट प्रस्तुत किया, उसका आकार ३४.८३ लाख करोड़ रुपये है। सरकार को लगभग १२ लाख करोड़ रुपये ऋण लेना होगा जो कुल व्यय का ३६ प्रतिशत है। इससे राजकोषीय घाटा जी डी पी का ६.८ प्रतिशत रहेगा जो २०२०-२१ में ९.५ तक रह सकता है। विनिवेश से १.७५लाख करोड़ रुपये प्राप्त होने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान वर्ष में कोरोना संकट के चलते विनिवेश से प्राप्तियां महज लक्ष्य के १९.५ रही हैं। देखना होगा कि २०२१-२२ में सरकार कहाँ तक सफल रहती है। दो सरकारी बैंकों एवं एक सामान्य बीमा कंपनी के साथ साथ आईडीबीआई, बीपीसीएल में विनिवेश की सरकार की योजना है। भारतीय जीवन बीमा निगम का आई पी ओ भी इस वर्ष आएगा।

वित्त मंत्री को बजट का १५ प्रतिशत जीएसटी, १४ प्रतिशत आयकर एवं १३ प्रतिशत निगम कर से प्राप्त होने की उम्मीद है। वित्त मंत्री ने माना कि कोविड पूर्व की स्थिति में अर्थव्यवस्था को लाने में दो तीन वर्षों का समय लगेगा, अतः राजकोषीय अनुशासन के लिए एफ आर बी एम ऐक्ट में संशोधन किया जाएगा। वित्त मंत्री महोदया ने जीएसटी को सरल बनाने एवं सुधार की बात भी कही। आयकर में कोई बदलाव नहीं किया गया जिससे सामान्य मध्यम वर्ग को मायूसी हाथ लगी। अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार पर व्यय बढ़ाने का इतना दबाव था कि उसके लिए इस समय रियायत के लिए सोचना भी सम्भव नहीं था। बजट में वहनीय छोटे घरों के लिए १.५ लाख रुपये की छूट इस वर्ष भी बरकरार रखने और स्टार्ट अप के लिए टैक्स हालीडे एक और वर्ष बढ़ाने की बात कही गई है। ७५ वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों को आयकर विवरणी भरने से छूट दी गई है यदि उनकी आय का स्त्रोत पेंशन एवं ब्याज ही है। बजट में आत्मनिर्भर अभियान के तहत अनेक वस्तुओं पर आयात कर बढ़ाया गया है जिससे विदेशी मोबाइल, चार्जर, एसी, विदेशी कपड़े, फ्रिज, एल ई डी, केबल आदि मंहगे होंगे। सोना, चांदी, लोहा, स्टील एवं तांबे के बर्तन सस्ते होंगे।

आर्थिक सुधारों की दिशा में एक कदम और बढ़ाते हुए बीमा क्षेत्र में एफ डी आई की सीमा ४९ प्रतिशत से बढ़ाकर ७४ प्रतिशत इस बजट में कर दी गई है। इससे बीमा क्षेत्र में प्रतियोगिता को बढ़ावा मिलेगा एवं उपभोक्ता को इसका लाभ होगा। बजट में पी एम आत्मनिर्भर स्वास्थ्य योजना का भी ऐलान किया गया और इसके लिए ६४१८० करोड़ रुपये का प्राविधान किया गया है। जल ही जीवन है के मंत्र को सार्थक बनाते हुए जल जीवन मिशन के लिए २.८७ लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसी क्रम में शहरी स्वच्छता अभियान के लिए १.४१लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए भी बजट में जोर दिया गया है और पन्द्रह वर्ष पुराने वाणिज्यिक एवं बीस वर्ष पुराने निजी वाहनों के लिए स्क्रैपिंग की नीति लाई गई है। इस बजट की तारीफ़ इस बात के लिए भी हो रही है कि विषम परिस्थितियों एवं दबाव के बाद भी कोई नया टैक्स या टैक्स में वृद्धि नहीं की गई है। वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कोरोना काल में लाकडाउन के बाद वी शेप में रिकवरी करती अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए अपना फोकस ग्रोथ एवं सुरक्षा पर ही रखा तथा निकट भविष्य की चुनौतियों से निपटने का साहस एवं संकल्प दिखाया है। इस विषय पर भी वित्त मंत्री महोदया बधाई की हकदार हैं कि वे उच्च राजकोषीय घाटे या रेटिंग एजेंसियों के दबाव में नहीं आयीं एवं जो अर्थव्यवस्था के लिए जरुरी था, उसे बजट के द्वारा काफी हद तक साकार रूप में सामने लाने में सफल रहीं।

डॉ राकेश कुमार मिश्रा

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