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संघर्ष ही जीवन है: कौशलेंद्र राजपूत

औरैया। जिसने संघर्ष करना छोड़ वह मतृप्राय हो गया। जीवन में संघर्ष है प्रकृति के साथ स्वयं के साथ परिस्थितियों के साथ तरह-तरह के संघर्षों का सामना आए दिन हम सब को करना पड़ता है और इन से जूझना होता है।

जो इन संघर्षों का सामना करने से कतराते हैं ,जीवन से भी हार जाते हैं जीवन में भी जीवन भी उनका साथ नहीं देता है। संघर्ष का दूसरा नाम है जीवन जीना तो उसी का है जिसने जीवन के सूत्र को समझ लिया, भयंकर से भयंकर और विपरीत स्थिति पर विजय पाने का एक ही रास्ता है पूरे आत्मविश्वास के साथ बाधा विरोधों से से जूझ, जाना संघर्ष करना, जो संघर्ष से बच कर चले वह कायर है संसार रूपी सागर की ऊंची उठती लहरों को जिसने चुनौती देना सीख लिया सफलता की अनुपम मणि या उसी ने बटोरी है।

जो डर कर किनारे बैठ गया ,वह तो जीवन का दाव ही हार गया। जीवन में भले ही कितने संकट आए हैं परंतु जो व्यक्ति अपने मार्ग से विचलित नहीं होता है जो कछु को साहस से सामना करता है जो यह मानता है कि कर्म ही जीवन है और यह मान कर सदा कर्म प्रयत्न, परिश्रम साहस और उद्योग में लगा रहता है वस्तुतः उसी मनुष्य का जीवन सफल होता है।

रिपोर्ट-अनुपमा सेंगर 

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