राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल को कृषि संबधी गहन जानकारी है। इसके प्रति वह सजग भी रहती है। गुजरात मंत्री व मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने किसानों के हित में अनेक उल्लेखनीय कार्य किये थे। उनका कहना भी है कि वह किसान की बेटी है, उनकी समस्याओं को समझती है। शायद इसी कारण वह कृषि कानूनों को किसानों के हित में मानती है।
उन्होंने कहा कि अन्य क्षेत्रों की भाँति कृषि में भी नए नए स्टार्टअप आ रहें हैं। कृषि व्यवसाय को आधुनिकता देकर अधिक लाभकारी बनाया जाए। वैश्विक स्पर्धा में बने रहने के लिए उत्पादों की गुणवत्ता को भी बनाए रखना होगा। आनंदीबेन पटेल ने राजभवन से आनलाइन सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय,मेरठ के दीक्षान्त समारोह को संबोधित किया।
मांग आधारित कृषि
राज्यपाल ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश बेहतरीन प्राकृतिक संसाधनों के कारण कृषि के क्षेत्र में अग्रणी है और कृषि उत्पादन में मुख्य रूप से योगदान दे रहा है। यहां मांग आधारित कृषि की अपार संभावनाएं है। विश्वविद्यालय स्तर पर इस प्रकार के शोध किए जाए जो कि समय व मांग के अनुसार हो। क्षेत्र की फसलों को दृष्टिगत रखते उनके रख रखाव हेतु समुचित तकनीकियों एवं उपक्रमों को बढावा देना आवश्यक है, जिससे कि किसान उत्पादों का समुचित भंडारण कर अनुकूल कीमतों पर बेच सकें।
कैच द रेन
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा हर एक को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने और हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाने के साथ ‘पर ड्राॅप मोर क्राॅप’ जैसे अभियान शुरू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि आज ‘गांव का पानी गांव में’ जैसे नारे जल संरक्षण में सक्रिय लोगों की जुबान पर चढ़ गए हैं। बरसात के पानी के संरक्षण को लेकर बढ़ी जागरूकता के कारण देश के कई हिस्सों में भूजल का स्तर ऊपर आने लगा है।
जल संसाधन मंत्रालय जल्द ही इसी सोच के साथ कैच द रेन अभियान शुरू करने जा रहा है। सरकार सिंचाई की नई नई विधियां अपनाने पर विशेष बल दे रही है। कृषि वैज्ञानिकों को ऐसी प्रजातियाँ विकसित करनी होंगी जो कम जल खपत मे अधिक उत्पादन दे सकें। उन्होने कहा कि भूजल की गुणवत्ता को भी बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
मृदा परीक्षण
राज्यपाल ने कहा कि कृषि की टिकाऊ प्रगति स्वस्थ मृदा पर निर्भर करती है। बहुत से किसान फसल अवशेष प्रबंधन अपनाकर मृदा व पर्यावरण को स्वस्थ रखने में अपना योगदान दे रहे हैं। मृदा स्वास्थ्य के प्रति जन मानस को और जागरूक होने की आवश्यकता है एवं इसे जन आंदोलन का रूप दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सहफसली खेती से जहाँ मिट्टी की सेहत सुधर रही है, वहीं किसानो का मुनाफा भी बढ़ा है। इस मुहिम को और गति देने के लिए हमारे कृषि वैज्ञानिकों को आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानो का रूझान प्राकृतिक खेती की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। विश्वविद्यालय स्तर पर भी खेती की इस विधा पर शोध व प्रसार करने की आवश्कता है।
कृषि के साथ पशुपालन
आनन्दी बेन ने कहा कि दुग्ध उत्पादन एवं पशुपालन मे पश्चिमी उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण योगदान है। आज भारत दुग्ध उत्पादन मे विश्व का अग्रणी देश है, परंतु प्रति पशु उत्पादकता काफी कम है। इस क्षेत्र मे वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं। हमारे देश की पशु नस्लें देश की परिस्थितियों के अनुकूल हैं। अतः इनके प्रजनन एवं संरक्षण पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि महिलाएं समाज की महत्वपूर्ण कड़ी हैं उनका सम्मान एवं सशक्तिकरण हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। प्रसार द्वारा ग्रामीण महिलाओं को रोजगारपरक प्रशिक्षण उपलब्ध कराकर उन्हें स्वावलंबी बनाने का लक्ष्य होना चाहिए।
आंगनबाड़ी केंद्र की सहायता
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन लखनऊ से वर्चुअल माध्यम द्वारा मेरठ के दायमपुर शहरी क्षेत्र के प्राइमरी स्कूल में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्र पर डा एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ द्वारा उपलब्ध कराये गये बच्चों को खेलकूद एवं पठन सामग्री तथा गर्भवती महिलाओं हेतु पौष्टिक आहार वितरण के लिये आयोजित कार्यक्रम में अपने सम्बोधन में कहा कि बच्चे हमारे देश के भविष्य हैं। बड़े होकर ये ही देश के सजग प्रहरी बनेंगे।
इसलिए इन्हें बचपन से ही उचित शिक्षा,दीक्षा एवं पौष्टिक आहार दिया जाना चाहिए। प्रत्येक जिले के आंगनवाड़ी केन्द्रों में शिक्षा एवं आरोग्य के कार्यक्रम चलाये जाने चाहिये। इस कार्य में भारत सरकार एवं राज्य सरकार आर्थिक मदद दे रही है। आवश्यकता है इस कार्य में प्रत्येक गांव के सम्भ्रांत नागरिकों, जनप्रतिनिधियों तथा सम्पन्न वर्ग को जोड़ने की।