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कर्मचारियों को मौत के मुंह में ढकेल रही सरकार : हरि किशोर तिवारी

औरैया वैश्विक महामारी के कारण जहां पूरे विश्व के साथ देश के हालात खराब है, वही प्रदेश में चल रहे पंचायत चुनावों की ड्यूटी में लगे कर्मचारी, शिक्षक और जूनियर इंजीनियर्स असमय काल के गाल में समा रहे है। बिना किसी गाइड लाइन का पालन किए अपनाई जा रही चुनाव प्रक्रिया से यह संक्रमण तेजी से पंचायत चुनाव ड्यूटी में लगे लोगों को अपना शिकार बना रहा है।

उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष इं. हरिकिशोर तिवारी ने अपना एक वीडियो जारी कर उक्त आरोप और कर्मचारियों व उनके परिजनों की हो रही मौत पर चिंता जताते हुए एक बार फिर राज्य सरकार को आगाह किया है कि पंचायत चुनाव के नाम पर कर्मचारी, शिक्षक और अवर अभियंताओं की जिन्दगी से खिलवाड़ बंद करें। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले अब तक लगभग 750 कर्मियों की मौते होने की सूचना प्राप्त हो हुई है, जिसमें उनके परिवारों की मौत अभी सम्मिलित नहीं है। उन्होंने कहा कि लम्बे अरसे से राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को इस सम्बन्ध में सम्बोधित करते हुए कोविड गाइड लाइन के अनुपालन व अगले चरणों के मतदान रोकने की मांग कर चुका है पर उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि अब भी समय है कि मतगणना का कार्यक्रम कुछ समय के लिए टाल दिया जाए।

उन्होंने कहा कि हम पहले से ही आग्रह कर रहे थे कि किसी भी कर्मचारी, शिक्षक और जूनियर इंजीनियर्स को बिना संसाधन, पीपीई किट, चुनाव ड्यूटी पर न भेजा जाए लेकिन ऐसा नही किया गया, बस्ते बटने से लेकर प्रशिक्षण तक में कोविड गाइड लाइन के अनुपालन की धज्जियां उड़ती रही, जिसके चलते कर्मचारी, शिक्षक और जूनियर इंजीनियर्स स्वयं तो संक्रमित हुआ ही और उससे उसके घर भी संक्रमण पहुंच गया। उन्होंने कहा कि एक तरफ पांच लोगों को एक साथ खड़े होने पर पाबंदी लगाई जा रही है दूसरी तरफ सैकड़ों हजारों लोगों को बिना संसाधन, बिना सोशल डिस्टेसिंग, बिना सैनेटारइजेशन प्रशिक्षण और मतदान प्रक्रिया सम्पन्न कराई‌ गयी, ऐसी ही स्थिति अभी मतगणना के दौरान उत्पन्न होगी।

उन्होंने बताया कि अभी तक परिषद के पास जनपदवार और विभाग वार जो कर्मचारी शिक्षक और अवर अभियंताओं के मौत के आकड़े आए है वह चौकाने वाले है, सरकार को चाहिए कि जिन शासकीय सेवकों की मौत हुई है उनके परिजनों को बिना लम्बी प्रक्रिया अपनाए तत्काल पचास-पचास लाख का मुआवजा उपलब्ध कराये। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारी, शिक्षक और जूनियर इंजीनियर्स स्वयं डरे है और उनके परिजन सशंकित है। परिषद इस सम्बंध में एक बार फिर राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग से मांग करता है कि वह मतगणना प्रशिक्षण एवं मतगणना की प्रक्रिया को फिलहाल स्थगित कर दे, सरकार अगर इस विषम स्थिति में कोई फैसला नहीं लेती तो मजबूरन परिषद को आन्दोलन के लिए विवश होना पड़ेगा।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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