आज चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर कुछ सुकून से बैठे थे। बड़को काकी व नदियारा भौजी उनको गांव के हालचाल बता रही थीं। मेरे पहुंचते ही बड़को काकी अपनी बहुरिया के साथ खेतों की तरफ रवाना हो गईं। चतुरी चाचा बोले- अब कोरोना का संक्रमण दर थोड़ा कम हुआ है। देश में टीकाकरण तेजी से चल रहा है। कोरोना को लेकर लोगों में जागरूकता भी बढ़ी है। इससे थोड़ा सुकून महसूस कर रहा हूँ। परन्तु, ब्लैक और व्हाइट फंगस नामक नई महामारी चिंता बढ़ा रही है। इससे निबटने की रूपरेखा बनानी होगी।
इसी दौरान मुन्शीजी व कासिम चचा चबूतरे पर पधार गए। उनके पीछे से ककुवा व बड़के दद्दा की जोड़ी भी आ गई। चतुरी चाचा ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- कोरोना और काला-सफेद फफूंद महामारी के साथ बादल फटना, भारी बारिश व समुद्री तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाएं भी आ रही हैं। सच पूछिए, प्रभु की मर्जी समझ में नहीं आ रही है। आखिर भगवान क्या चाहते हैं? पूरी दुनिया कोरोना से कराह रही है। करोडों लोग बीमार हो रहे हैं। लाखों लोग बैमौत मारे जा रहे हैं। सारा कामकाज पिछले साल से ठप है। दो सत्र से बच्चों के स्कूल बन्द हैं। देश के युवा बेरोजगारी झेल रहे हैं। बुजुर्गों का जीना मुहाल है। यह न जाने कौन सा दौर आया है?
ककुवा बोले- चतुरी भाई, सही कह रहे हो। हम तौ कहित है कि भगवान का जाउनु कुछु करय का होय। सबु याकै दिन कय डारयँ। रोज-रोज नाटक न करयँ। आजु यह महाब्याधि, काल्हि वह महाब्याधि। कहूँ हालाडोला आवत है। कहूँ बादर फाटि जात है। कहूँ आगि, कहूँ पानी, अउ कहूँ सार तूफान आवत है। कहूँ जहाज समंदर मा डूबत है। कहूँ जहाज आसमान ते गिर जात है। एकु-एकु अदमी परेशान है। अरे! भगवान जौ तुम मनइन ते ऊबिगे हौ, तौ याक दिन महाप्रलय कय देव। याकय झटके मा सगरी धरती क्यार विनाश कय डारव। सारा मनई अउ हरहा याकय दिन भींजर जाय। दुनियक किस्सा खतम होय जाय।
चतुरी चाचा ककुवा को बीच में ही रोकते हुए बोले- ककुवा भाई, तुम इतनी उल्टी बातें क्यों कर रहे? तुम तो सारा दारोमदार प्रभु पर छोड़ रहे हो। महामारी और प्राकृतिक आपदाओं के लिए मनुष्य ही जिम्मेदार है। इसमें भगवान की कोई गलती नहीं है। मनुष्य ने इस धरती और वायुमंडल में जो बोया है, वही अब काट रहा है। इसी बीच चंदू बिटिया गुनगुना नींबू पानी व तुलसी-अदरक की कड़क चाय लेकर हाजिर हो गई। सबने गुनगुना नींबू पानी पीया। फिर चाय के कुल्हड़ उठा लिये। कासिम चचा ने बतकही को आगे बढ़ाते हुए कहा- मोदी सरकार ने कोरोना के टीके का प्रचार-प्रसार तो खूब कर दिया। लेकिन, अब विभिन्न राज्यों में उनकी मांग के मुताबिक टीका नहीं दे पा रही है। जनता टीके का इंतजार कर रही है। अमीरों के लिए रूस से स्पूतनिक वैक्सीन आ रही है। गरीबों को कोवैक्सिन और कोविशील्ड जैसी देसी वैक्सीन नहीं मिल पा रही। नए कृषि कानूनों को निरस्त कराने के लिए छह महीने से हज़ारों किसान दिल्ली सरहद पर बैठे हैं। तमाम किसान कोरोना से भी पीड़ित हो रहे हैं। केंद्र सरकार हठधर्मिता कर रही है।
मुंशीजी ने कासिम चचा का सनर्थन करते हुए कहा- सबसे बड़ा झमेला गरीब ग्रामीणों के लिए है। स्मार्ट फोन हो तो बेचारे वैक्सीन के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराएं। गांव के गरीब-गुरबा अपना रजिस्ट्रेशन ही नहीं करवा पा रहे। ग्रामीण इलाके के वैक्सीन सेंटर पर शहर के पढ़े-लिखे लोग टीका लगवा रहे हैं। सरकार को गाँव के गरीब और अशिक्षित लोगों के लिए भी सोचना चाहिए। आज गरीबों के लिए सबसे जरूरी टीका है। हजार दो हजार रुपये की आर्थिक मदद और दो महीने के मुफ्त अनाज की उतनी जरूरत नहीं है। सरकार को पोलियो ड्राप की तर्ज पर घर-घर कोरोना टीका भेजना चाहिए।
बड़के दद्दा ने कासिम चचा व मुन्शीजी की बात का विरोध करते हुए कहा- आप लोग मोदी सरकार की बेवजह टांग खींचते हैं। केंद्र सरकार बहुत कुछ कर रही है। सभी राज्य सरकारों को भी आगे बढ़कर कार्य करना चाहिए। टीकाकरण में राज्यों को अपना योगदान देना चाहिए। साढ़े 19 करोड़ लोगों को कोरोना का टीका लग चुका है। जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं है, वे अपने नजदीक के कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। रही बात किसान आंदोलन की तो वह लोग विपक्षी दलों के बहकावे में धरना दे रहे हैं। उनका आम किसानों से कोई मतलब नहीं है। और हां, मुन्शीजी को निर्धन लोगों की स्थिति का सही ज्ञान नहीं है। कोरोना के कारण तमाम गरीब परिवार भुखमरी के कगार पर हैं। गरीबों को कोरोना वैक्सीन के साथ आर्थिक मदद और मुफ्त अनाज की भी जरूरत है।
चतुरी चाचा ने कहा- तुम सब जने नेतन की तना आपस मा न भिड़ा करव। राष्ट्रीय आपदा केर समय है। सब जने एकजुट होय कय कोरोना अउ फंगस ते जंग करत जाव। याक दिन महाब्याधि हारी अउ हम सब जीतब। रिपोर्टर भइय्या, तुम कोरोना केरे बारे मा बताव। कोराउना अब शहरन मा तनुक कम भवा है। मुला, गाँवन मा पांव पसार रहा है। यहिमा काला अउ सफेद फंगसव फाटि परा है। कोरोना अपडेट सुनिके आजु केर प्रपंच खत्म कीन जाय।
हमने सबको बताया कि विश्व में अबतक साढ़े 16 करोड़ लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 34 लाख से ज्यादा लोग बैमौत मारे जा चुके हैं। इसी तरह भारत में अबतक दो करोड़ 60 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। जबकि दो लाख 91 हजार से अधिक लोगों को कोरोना निगल चुका है। यहाँ पिछले 24 घण्टे में दो लाख 57 हजार से अधिक नए मरीज मिले हैं। एक दिन में करीब 42 सौ लोगों को कोरोना निगल गया। इधर, हिन्दुस्तान के 15 राज्यों में ब्लैक फंगस नामक नई बीमारी फैल चुकी है। अनेक लोग ब्लैक फंगस से मारे जा चुके हैं। बिहार में सफेद फंगस के भी मरीज मिले हैं। अभी तक 10 राज्यों में ब्लैक फंगस को महामारी घोषित किया जा चुका है। बहरहाल, हम सबको कोरोना के साथ ब्लैक/व्हाइट फंगस से भी सावधान रहना है। इसी के साथ आज की पँचायत पर विराम लग गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही को लेकर हाजिर रहूँगा। तब तक के लिए पँचव राम-राम!