लखनऊ। दारुल उलूम देवबन्द के बाद शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे जवाद भी संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान के पक्ष में खड़े हो गए हैं। मौलाना ने भागवत के बयान पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि संघ प्रमुख का बयान उस समय आया हैं जब देश को एकता और अखंडता की जरूरत है।शिया धर्म गुरू ने कहा कि वह देश की अहम शख्सित हैं। हम उनसे गुजारिश कंरेगे कि वह इन बातों को पूरे देश से मनवाएं।
बता दें कि कुछ दिन पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अपने बयान में कहा था कि हिंदू-मुस्लिम अलग नहीं बल्कि एक हैं। सभी भारतीयों का डीएनए एक है। मौलाना ने कहा कि संघ प्रमुख के बयान पर पूरे देश में अमल होना चाहिए। भागवत ने सही कहा है कि हिंदू मजहब के देवी देवताओं ने जीवों पर दया करो का सबक दिया है तो फिर मॉब लिंचिंग में शामिल लोगों हिंदुत्व के मानने वाले कैसे हो सकते हैं? ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए जो समाज में नफरत की बीज बो रहे हैं। जब हम सब एक आदम (अस) और जनाबे हव्वा से हैं? तो डीएनए अलग कैसे हो सकता है।एक साजिश के तहत मॉब लिंचिंग और मुसलमानों के खिलाफ तरह-तरह की साजिश हो रही है। आरएसएस प्रमुख के बयान का सभी को स्वागत करना चाहिए।
मौलाना ने कहा की वह मोहन भागवत से पूर्व में मिल चुके हैं और वह बड़ी शख्सियत हैं, उनके बयान से नफरत कम होगी। कुछ लोग उनके बयान के नाम पर देश को बांटने का काम रहे हैं। ऐसे में सभी को सावधान रहने की जरूरत है। अफवाहों से बचने की आवश्यकता है। सोशल मीडिया पर अफवाहों को फैलाने का प्रयास हो रहा हैं जिस पर सरकार को सख्त कदम उठाना चाहिए। इससे पूर्व सरसंघचालक द्वारा भीड़ हिंसा करने वालों को हिंदुत्व विरोधी करार देने वाले बयान का देवबंद के उलेमा ने समर्थन किया है। उलमा का कहना था कि मोहन भागवत केंद्र और राज्य सरकारों से भीड़ हिंसा पर सख्त कानून बनाने की मांग भी करें। मदरसा जामिया शेखुल हिंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती असद कासमी ने सरसंघचालक मोहन भागवत के बयान को सराहनीय बताते हुए इसका समर्थन किया है।
उन्होंने कहा कि मोहन भागवत केंद्र और राज्य सरकारों से यह मांग करें कि भीड़ हिंसा करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाएं। ताकि देश का अमन चैन कायम रह सके। मौलाना मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि आए दिन बेगुनाहों को घेर कर उनको मारा जाता है और कत्लेआम का वीडियो जारी किया जाता है। इन लोगों पर कार्रवाई न होने से ऐसे लोगों के हौसले बुलंद होते हैं। इससे देश में नफरत का माहौल बनता है। मोहन भागवत यदि केंद्र और राज्य सरकार से ऐसे लोगों पर कार्रवाई की मांग करें तो सरकार और पुलिस प्रशासन तुरंत हरकत में आएगा। इससे इस प्रकार की घटनाओं पर रोक लगेगी।
गौरतलब हो, इस्लामी दुनिया में दारुल उलूम देवबन्द का एक विशेष स्थान है जिसने पूरे क्षेत्र को ही नहीं, पूरी दुनिया के मुसलमानों को प्रभावित किया है। दारुल उलूम देवबन्द केवल इस्लामी विश्वविद्यालय ही नहीं एक विचारधारा है, जो अंधविश्वास, कूरीतियों व अडम्बरों के विरूद्ध इस्लाम को अपने मूल और शुद्ध रूप में प्रसारित करता है। इसलिए मुसलमानों में इस विचाधारा से प्रभावित मुसलमानों को “देवबन्दी” कहा जाता है।