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कृषि अनुसंधान को बढ़ावा

डॉ दिलीप अग्निहोत्री
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल नई शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन पर प्रारंभ से ही दिशा निर्देश देती रही है। इस संबन्ध में उनका समय समय पर विश्वविद्यालयों व शिक्षाविदों से संवाद भी होता रहा है। इसके अलावा वह उच्च शिक्षण संस्थानों को नैक तैयारी करने के लिए भी प्रेरित करती है। पिछले दिनों उन्होंने अनेक विश्वविद्यालयों द्वारा बनाये गए प्रजेंटेशन को देखा। उनमें अपेक्षित सुधार पर ध्यान आकृष्ट किया।

राज्यपाल ने ऑनलाइन व्यवस्था पर बल दिया। कहा कि इससे पारदर्शिता,पुराने डेटा को समृद्ध करने, विद्यार्थियों को प्रशासनिक कार्य से जोड़ने तथा नबढ़ाने को बल मिलेगा। कृषि शिक्षा प्राप्त कराने के बाद कितने विद्यार्थी कृषि कार्य करते है इसका फीडबैक भी लिया जाना चाहिये। कृषि विज्ञान केन्द्र में शोध कार्यों की धीमी गति पर असंतोष व्यक्त किया। रचनात्मक कार्यों के माध्यम से विश्वविद्यालय को आगे बढ़ायें। इससे विश्वविद्यालय की आय बढ़ने के साथ साथ स्थानीय किसानों को लाभ होगा। कृषि शोध विषयों को व्यवहारिक बनाने हेतु किसानों की सहभागिता को बढ़ाएं। कृषि विज्ञान केन्द्र प्रसार शाखा अपने क्षेत्र के प्रगतिशील कृषकों को जोड़े उनकी समस्याओं को जाने तथा गोष्ठियों के माध्यम से उनका समाधान कराये। इसमें महिला तथा गरीब किसानों को प्राथमिकता से शामिल करना चाहिए।

कृषि विज्ञान केन्द्रों में तैनात कृषि वैज्ञानिक तथा विषय विशेषज्ञ अनिवार्य रूप से तैनाती स्थल पर रहकर कार्य सम्पादित करना आवश्यक है। उघमिता से जुड़े कार्यक्रमों को बढ़ावा दें तथा विभिन्न विश्वविद्यालय तथा औद्योगिक प्रतिष्ठानों से एमओयू करें ताकि छात्रों को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर मिल सके और ये सभी कार्य अच्छी सोच व संसाधन तैयार कर किये जा सकते है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति के तहत नवीनतम पाठ्यक्रम शामिल करते हुए प्रवेश क्षमता को बढ़ायें। पुराने पाठ्यक्रमों को अपग्रेड करते रहें। इसके साथ ही च्वाइस बेस क्रेडिट सिस्टम को लागू करें।

उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों से फीड बैक लेने के साथ साथ फील्ड प्रौजेक्ट तथा अनुसंधान कार्य को बढ़ावा देने तथा अनुसंधान कार्यों को कृषकों तक पहुंचायें। आनंदीबेन पटेल ने राजभवन में नैक मूल्यांकन हेतु सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय,मेरठ का प्रस्तुतीकरण देखा। निर्देश दिया कि विश्वविद्यालय नैक मूल्यांकन हेतु निर्धारित सभी मापदण्डों के अनुसार तैयारी कर सभी कमियों को समय से दूर करें। विश्वविद्यालय ग्रामीण कृषि एवं औद्योगिक विषयों को प्राथमिकता के साथ शामिल करें। ताकि रोजगार सृजन को बल मिल सके। उन्होंने कहा कि नैक मूल्यांकन सात श्रेणियों में होता है। अतः विश्वविद्यालय सभी श्रेणियों में निरन्तर सुधार करते हुए अपनी बेहतर तैयारी अगले प्रस्तुतीकरण के लिये करें।

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