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आत्मनिर्भर भारत में डिफेंस कॉरिडोर

डॉ दिलीप अग्निहोत्री
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

एक समय था जब भारत रक्षा सामग्री का सबसे बड़ा आयातक था। इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का कोई विजन ही नहीं था। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने का बाद ही इस ओर ध्यान दिया। उनका कहना था कि भारत को हथियारों के उत्पाद में आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। इतना ही नहीं इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए भारत को हथियारों का निर्यातक भी बनाया जाएगा। इस संकल्प को पूरा करने का रोडमैम बनाया गया। उसका क्रियान्वयन सुनिश्चित किया गया। परिणाम स्वरूप वर्तमान सरकार के कार्यकाल में भारत का रक्षा निर्यात तैतीस प्रतिशत बढ़ा है।

भारत पचहत्तर देशों को रक्षा उत्पाद का निर्यात कर रहा है। आत्मनिर्भर भारत अभियान की रक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हो रही है। गत वर्ष डीआरडीओ ने उद्योग के साथ सवा दो सौ लाइसेंस समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिगत यह कार्य अपरिहार्य थे। यूपीए सरकार ने इस जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं किया। यहां तक कि राफेल डील को अंजाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी यूपीए सरकार की थी।

वायु सेना की ओर से राफेल विमान को भारतीय सुरक्षा के लिए आवश्यक बताया गया था। इसके बाद भी कई कारणों से यूपीए सरकार के दौरान यह समझौता नहीं किया गया। यह कार्य नरेंद्र मोदी सरकार ने पूरा किया। स्वतन्त्रता के बाद से ही भारत कई मोर्चों पर खतरों और चुनौतियों का सामना कर रहा है। वह एक देश द्वारा प्रायोजित आतंकवाद का शिकार रहा है। यह मुल्क अब एक वैश्विक खतरा बन गया है। चीन की हरकतें भी सदैव परेशान करने वाली रही है। भारत ने अपनी सीमाओं पर यथास्थिति बदलने के दुर्भाग्यपूर्ण प्रयासों को देखा है।

देश हर कीमत पर अपने लोगों और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए किसी भी दुस्साहस का मुकाबला करने और उसे हराने के लिए सतर्क और तैयार है। भारत ने साबित किया कि वह स्वदेशी क्षमताओं के निर्माण की अति आधुनिक अगली पीढ़ी की तैयारी कर रहा है। भारतीय कंपनियां और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां इस दिशा में गंभीरता से प्रयास कर रही है। भारत ने विभिन्न प्रकार के मिसाइल सिस्टम,लाइट कॉम्बैट एयरक्रॉफ्ट, हेलिकॉप्टर, मल्टी पर्पस लाइट ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, वॉरशिप, पैट्रोल वेसल, आर्टिलरी गन सिस्टम टैंक, रडार, मिलिट्री व्हीकल, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, क्रूज मिसाइल, ब्रह्मोस,एस्ट्रा मिसाइल, अर्जुन, टैंक तोपखाने सहित सैकड़ों स्वदेश निर्मित रक्षा हथियारों के निर्यात को मंजूरी देकर पूरी दुनिया को रक्षा उद्योग में आत्मनिर्भरता का सन्देश दिया है।

अमेरिकी परियोजना स्काईबॉर्ग की तर्ज पर एचएएल ने मानव रहित विमानों की तकनीक का प्रदर्शन भारत की बड़ी उपलब्धि है। दो वर्ष में मार्क टू पहली उड़ान भरेगा। अगले चरण में इसका बड़े स्तर पर उत्पादन भी शुरू हो जाएगा। भारत ने पांचवीं जनरेशन के लड़ाकू विमान बनाने की क्षमता दिखाकर अपने स्वदेशी स्टेल्थ फाइटर जेट की डिजाइन और मॉडल दुनिया के सामने पेश किया। इसे एडवांस मीडियम कॉम्बेट एयरक्राफ्ट एमका नाम दिया गया। इसके बाद भारत अब अमेरिका, रूस और चीन सहित चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा। आने वाले दिनों में लड़ाकू विमान और ड्रोन मिलकर मॉर्डन वारफेयर में दुश्मन पर हमला कर सकेंगे।

राफेल,तेजस,सुखोई, जगुआर जैसे लड़ाकू विमानों में तीन तरह की ड्रोन प्रणाली लगाई जा सकेगी। पायलट दुश्मन के इलाके में घुसे बिना मानव रहित ड्रोन्स से हमला करके खुद को और अपने जेट्स को सुरक्षित रख सकेंगे।

लद्दाख की वादियों में उड़ान भरकर भारतीय वायुसेना और सेना के परीक्षण में खरे उतरे एचएएल के लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर एलयूएच के सेना संस्करण को प्रारंभिक ऑपरेशन क्लीयरेंस आईओसी प्रमाण पत्र सौंपा गया। एचएएल ने इस विमान का आईओसी संस्करण सेना को सौंप दिया है। एचएएल ने अगले दो साल विमानों का उत्पादन शुरू करेगा। वर्तमान सरकार डिफेंस इंडस्ट्री से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उत्तर प्रदेश में दोनों डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर इस प्रतिबद्धता का परिणाम हैं। उत्तर प्रदेश में छह नोड में जल्दी ही उत्पादन शुरू हो जाएगा। लखनऊ तथा झांसी में निवेश करने वालों को जमीन भी उपलब्ध करा दी गई है।

हम जल्दी ही एक केन्द्र द्वारा प्रायोजित योजना ला रहे हैं।जिसमें डिफेंस इंडस्ट्रीज को कॉरिडोर में निवेश करने के लिए इंसेंटिवाइज करने का प्रावधान है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस दौरान कहा कि उत्तर प्रदेश ने बीते चार वर्ष में एयर कनेक्टिविटी में बहुत प्रगति की है। पांच वर्ष पहले प्रदेश में मात्र दो एयरपोर्ट काम कर रहे थे। आज प्रदेश में नौ एयरपोर्ट काम कर रहे हैं। वर्तमान में बारह नए एयरपोर्ट के निर्माण की कार्रवाई प्रगति पर है। उत्तर प्रदेश में तीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट हो गए हैं।

जल्दी ही चौथे इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया जाएगा। उत्तर प्रदेश में छह नोड में उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की स्थापना की गई है। इसमें ग्यारह हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश प्रस्तावित है। इसके लिए इंवेस्टर्स समिट में सत्तावन एमओयू पर हस्ताक्षण भी हुए थे। जिसमें करीब ढाई लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे। इसके लिए करीब डेढ़ हजार हेक्टेयर का लैंड बैंक बनाया गया है।

उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की यूनिट आगरा,अलीगढ़, लखनऊ,कानपुर,झांसी तथा चित्रकूट में स्थापित की जा रही हैं। अब तक चौबीस कंपनियों को करीब साढ़े तीन सौ हेक्टेयर भूमि आवंटित कर दी गई है। लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल के निर्माण के लिए कंपनी को अस्सी हेक्टेयर तथा झांसी में भारत डायनामिक्स को एक सौ तिरासी हेक्टेयर जमीन आवंटित की गई है। गत वर्ष लखनऊ में डिफेंस एक्सपो का आयोजन किया गया। इसमें सत्तर देशों ने प्रतिभाग किया था।

आठ सौ सत्तावन भारतीय तथा एक सौ बहत्तर विदेशी कम्पनियों सहित एक हजार से अधिक कम्पनियों ने इसमें प्रदर्शनी लगायी थी। उसमें डिफेंस इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर में पचास हजार करोड़ रुपये के निवेश से जुड़े तेईस एमओयू हस्ताक्षरित किये गये थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में डिफेंस सेक्टर से सम्बन्धित एचएएल, ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड आदि इकाइयां पहले से कार्यरत हैं। शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए आईआईटी कानपुर, आईआईटी बीएचयू सहित चार अन्य टेक्निकल विश्वविद्यालय मौजूद हैं।

प्रधानमंत्री ने दो वर्ष पूर्व अमेठी में भारत-रूस के संयुक्त उपक्रम इण्डो रशियन राइफल्स प्रालि राष्ट्र को समर्पित किया था। प्रधानमंत्री ने ही तीन वर्ष पूर्व यूपी इन्वेस्टर्स समिट के शुभारम्भ अवसर पर प्रदेश में डिफेंस इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर की घोषणा की। प्रदेश सरकार ने इस डिफेंस कॉरिडोर के निर्माण के कार्य को तेजी से आगे बढ़ाया है। उत्तर प्रदेश डिफेंस इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर में निवेश प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश रक्षा तथा एयरोस्पेस इकाई एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति लागू की है।

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