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उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा के लिए स्वास्थ्य सेवाएं बनीं संजीवनी

प्रधानमंत्री जन आरोग्य आयुष्मान भारत योजना के लिए 1300 करोड़ की व्यवस्था की गई। आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के लिए 142 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। प्रधानमंत्री मातृत्व योजना के लिए 320 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई। डायग्नोस्टिक मूलभूत ढांचा सृजित करने के लिए 1073 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। शहरी स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्रों के लिए 425 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई।

   डॉ. सौरभ मालवीय

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार को भी भाजपा अपने लिए संजीवनी मान रही है। योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का जितना विकास हुआ है, उतना विकास न तो मायावती के शासनकाल में हुआ और न अखिलेश यादव के शासनकाल में ही हुआ।

कोरोना महामारी के दौरान जब प्राय: सभी राज्यों ने कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पूर्ण तालाबंदी लगाकर सामान्य गतिविधियों को ठप कर दिया, जिससे साधारण जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया, जबकि उत्तर प्रदेश ने कोरोना कर्फ्यू की नीति को लागू किया। उत्तर प्रदेश सरकार की दूरदर्शिता के कारण जीवन और जीविका दोनों को सुरक्षित और संरक्षित रखा गया। सरकार की इस अभिनव व्यवस्था में चिकित्सा जैसी अति आवश्यक गतिविधियों के साथ-साथ किराना की दुकानों, दुग्ध डेयरियों, फल-सब्जी, औद्योगिक इकाइयों, शीतगृहों, कृषि कार्य, निर्माण कार्य, खाद-बीज की दुकानों, खेतबाड़ी से जुड़े कार्य, गेहूं-धान व अन्य कृषि उत्पादों के क्रय केंद्रों आदि का संचालन जारी रखा गया। कोरोना कर्फ्यू के बीच गेहूं खरीद में तो रिकॉर्ड भी बना। लोगों के आवश्यक आवागमन पर भी कोई रोक नहीं थी। विशेष परिस्थितियों के लिए ई-पास की सुविधा दी गई। राज्य के भीतर राज्य परिवहन निगम की बसें भी संचालित होती रहीं, ताकि नागरिकों को आवश्यकता पर आवागमन में समस्या न हो। इसके बावजूद, उत्तर प्रदेश का रिकवरी दर देश में सबसे अच्छा है। यह प्रदेश सबसे कम पॉजिटिविटी दर वाले राज्यों में सम्मिलित है।

नि:संदेह उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में अग्रणी है। राज्य में सभी चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। आयुष चिकित्सा प्रणाली पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिछले वर्ष गोरखपुर के भटहट ब्लॉक के पिपरी तलकुलहा में आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया था। इस विश्वविद्यालय का नामकरण महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय रखा गया है। यह उत्तर प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय होगा।

इस विश्वविद्यालय परिसर में आयुर्वेद, योग व प्राकृतिक चिकित्सा का एक उत्कृष्ट श्रेणी का शोध संस्थान भी स्थापित किया जाएगा, जिसमें अन्तर्विभागीय चिकित्सा पद्धतियों का पारस्परिक समन्वय करते हुए शोध कार्यों को बढ़ावा दिया जाएगा। 52 एकड़ भूमि पर बनने वाले इस आयुष विश्वविद्यालय के निर्माण पर 300 करोड़ रुपये खर्च होंगे। आयुष विश्वविद्यालय का वास्तुशिल्प भारतीय संस्कृति के अनुरूप मनोहारी होगा। इसके परिसर में एकेडमिक भवन, प्रशासनिक भवन, आवासीय भवन, छात्रावास, अतिथि गृह के अतिरिक्त ऑडिटोरियम और सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक भी बनाया जाएगा।

इस विश्वविद्यालय से राज्य में संचालित समस्त आयुष, आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, योग व प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान और महाविद्यालयों एवं शिक्षा संस्थानों को जोड़ा जाएगा। आयुष महाविद्यालयों की प्रवेश प्रक्रिया, सत्र-नियमन, परीक्षा-संचालन व परिणाम में एकरूपता स्थापित होगी। इस विश्वविद्यालय में पैरामेडिकल, नर्सिंग, फॉर्मेसी एवं आरोग्यता से जुड़े सभी पाठ्यक्रमों के निर्माण एवं अध्ययन, अध्यापन, शोध की व्यवस्था होगी। इस विश्वविद्यालय द्वारा योग, आयुर्वेद, चिकित्सा शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, कृषि शिक्षा, कौशल विकास, उच्चस्तरीय शोध आधारित शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त इसके परिसर में आधुनिक चिकित्सा पद्धति एलोपैथी की सभी विधाओं से आरोग्यता प्राप्त करने हेतु जांच, परामर्श एवं उपचार तथा अध्ययन, अध्यापन व शोध के लिए उत्कृष्ट चिकित्सा संस्थान स्थापित किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि हठयोग, राजयोग या मंत्रयोग समेत योग की जितनी भी विशिष्ट विधाएं हैं, उन सभी अलग-अलग व्यवहारिक स्वरूपों के जनक महायोगी गुरु गोरखनाथ ही माने जाते हैं। आयुर्वेद में ‘रस शास्त्र’ और धातु सिद्धांत में ‘इमरजेंसी मेडिसिन’ के जनक भी गुरु गोरखनाथ ही माने जाते हैं।

स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी उत्तर प्रदेश अग्रणी है। पिछले चार वर्षों की समयावधि में राज्य में एक करोड़ 18 लाख गरीब परिवारों को छह करोड़ 47 लाख लोगों को पांच लाख रुपये तक का स्वास्थ्य सुरक्षा कवर प्रदान किया गया है। मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा कोष का गठन किया गया। राज्य के 47 जनपदों में नि:शुल्क डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराई गई। साथ ही 56 जनपद चिकित्सालयों में नि:शुल्क सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध कराई गई। राज्य में 170 मोबाइल मेडिकल यूनिट सेवा संचालित हैं। एसजीपीजीआई लखनऊ में स्टेम सेल रिसर्च सेंटर, बॉन मैरो ट्रांसप्लांट सेंटर, लीवर ट्रांसप्लांट सेंटर एवं 60 बेड का ट्रामा सेंटर क्रियाशील है। रोबोटिक सर्जरी प्रारंभ हो गई है। इमरजेंसी मेडिसिन एवं रीनल ट्रांसप्लांट सेंटर निर्माणाधीन है। एसजीपीजीआई लखनऊ में इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एवं इंडोक्राइनॉलोजी विभाग के नाम से एक नये भवन की स्थापना का निर्णय लिया गया है। राज्य के 45 जनपदों के राजकीय मेडिकल कॉलेजों एवं संस्थानों व चिकित्सा विश्वविद्यालयों में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लॉक की स्थापना की जाएगी। केजीएमयू में राज्य का प्रथम इंटीग्रेटेड स्पाइन सेंटर एवं मेडिसिन विभाग में आर्थोप्लास्टी यूनिट एवं पीड्रिक विभाग तथा राज्य के प्रथम ह्यूमन मिल्क बैंक की स्थापना की गई। केजीएमयू में प्लास्टिक सर्जरी विभाग के अंतर्गत बर्न एवं रिकंस रिकंस्ट्रक्टिव यूनिट की स्थापना की गई। केजीएमयू में रोबोट सर्जरी यूनिट की स्थापना की जाएगी।

राज्य सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-2022 के बजट में कोरोना की रोकथाम के लिए टीकाकरण के लिए 50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के लिए 5395 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई। प्रधानमंत्री जन आरोग्य आयुष्मान भारत योजना के लिए 1300 करोड़ की व्यवस्था की गई। आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के लिए 142 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। प्रधानमंत्री मातृत्व योजना के लिए 320 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई। डायग्नोस्टिक मूलभूत ढांचा सृजित करने के लिए 1073 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। शहरी स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्रों के लिए 425 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई। राज्य औषधि नियंत्रण प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के लिए 54 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। राज्य के 12 मंडलों में खाद्य एवं औषधि प्रयोगशालाओं एवं मंडलीय कार्यालयों के निर्माण के लिए 50 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई। ब्लॉक स्तर पर लोक स्वास्थ्य इकाइयों की स्थापना के लिए 77 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया।

राज्य सरकार चिकित्सा शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दे रही है। बिजनौर, कुशीनगर, सुलतानपुर, गोंडा, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, चंदौली, बुलंदशहर, सोनभद्र, पीलीभीत, औरैया, कानपुर देहात तथा कौशाम्बी में निर्माणाधीन नये मेडिकल कॉलेजों के लिए 1950 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। राज्य के 16 असेवित जनपदों में पीपीसी मोड में मेडिकल कॉलेजों के संचालन के लिए 48 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई। राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के लिए 23 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई।  एटा, हरदोई, प्रतापगढ़, फतेहपुर, सिद्धार्थनगर, देवरिया, गाजीपुर एवं मिर्जापुर में निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेजों में जुलाई 2021 से शिक्षण सत्र प्रारंभ किए जाने के लिए 900 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया।

अमेठी एवं बलरामपुर में नये मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए 175 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई। लखनऊ में माननीय अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। असाध्य रोगों की चिकित्सा सुविधा मुहैया कराए जाने के लिए 100 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई। लखनऊ में इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी एंड इंफेक्शस डिजीजेज के अंतर्गत बायोसेफ्टी लेवल-4 लैब की स्थापना का लक्ष्य रखा गया। एसजीपीजीआई लखनऊ में उन्नत मधुमेह केंद्र की स्थापना कराए जाने का निर्णय लिया गया। राज्य में दो राजकीय औषधि निर्माणशालाओं लखनऊ एवं पीलीभीत सुदृढ़ीकरण एवं उत्पादन क्षमता में वृद्धि किए जाने का लक्ष्य रखा गया।

कोरोना की दूसरी लहर के बीच देश जब ऑक्सीजन के संकट से जूझ रहा था, तब उत्तर प्रदेश ने वह कदम उठाया जिसकी सर्वत्र सराहना हुई। ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को देखते हुए ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के साथ-साथ वितरण व्यवस्था को बेहतर करने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया गया। इस पर स्वयं नीति आयोग ने मुहर भी लगाई है। उत्तर प्रदेश में ‘ऑक्सीजन मॉनीटरिंग सिस्टम फार उत्तर प्रदेश’ का शुभारंभ हुआ। परिणामस्वरूप मात्र 10 दिनों से प्रतिदिन एक हजार मीट्रिक टन ऑक्सीजन की रिकॉर्ड आपूर्ति संभव हो सकी, जबकि कुछ दिनों पूर्व तक यह आपूर्ति मात्र 250 मीट्रिक टन थी। ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए ऑनलाइन मॉनीटरिंग सिस्टम लागू करने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य था। विदित रहे कि इससे पूर्व उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अत्यंत दयनीय थी।

(लेखक- मीडिया प्राध्यापक एवं राजनीतिक विश्लेषक है, ये उनके अपने विचार हैं)

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