भारत में एक कहावत है- ‘आसमान से गिरा तो ख़जूर पर अटक!!’ बड़ी मुश्किल से कोरोना महामारी से पिंड छुड़ाने की ओर अग्रसर हुए थे, क्योंकि 3 मार्च 2022 तक करीब 97 फ़ीसदी नागरिकों को पहली वैक्सीन की पहली डोज़ लग चुकी थी, कि अब रूस-यूक्रेन युद्ध से महंगाई ने बम फोड़ दिया। अब देखना ये है कि ऊंट किस करवट बैठता है।
- Published by- @MrAnshulGaurav, Written by– Kishan Bhavanani
- Saturday, 05 Febraury, 2022
वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी के भयंकर प्रकोप से सभी देश लड़ ही रहे थे। हर देश अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए वैक्सीन की मिसाइल से सुरक्षा करने में लगा हुआ था। सभी रणनीतिक रोडमैप के टैंकों से इंफ्रास्ट्रक्चर के ढांचे को नए विज़न के ज़रिए, क्षतिग्रस्त हो चुकी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में लगे ही हुए थे, कि अचानक से पूरी दुनिया पर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण महंगाई का बम फूटा गया। पहले से ही वैश्विक स्तर पर डेरा जमाई महंगाई डायन को युद्ध के कारण कच्चे तेल की तेजी से बढ़ती कीमतों का कुटिल साथ मिल गया है। वो दिन दूर नहीं जब पूरी दुनिया की जनता हाहाकार करेगी और तब, सिंहासन पर वोट लेकर बैठे सभी देशों के मालिक हाथ मलते रह जाएंगे।
भारत में एक कहावत है- ‘आसमान से गिरा तो ख़जूर पर अटक!!’ बड़ी मुश्किल से कोरोना महामारी से पिंड छुड़ाने की ओर अग्रसर हुए थे, क्योंकि 3 मार्च 2022 तक करीब 97 फ़ीसदी नागरिकों को पहली वैक्सीन की पहली डोज़ लग चुकी थी, कि अब रूस-यूक्रेन युद्ध से महंगाई ने बम फोड़ दिया। अब देखना ये है कि ऊंट किस करवट बैठता है। अब तो गरीबों और मध्यम वर्गीय नागरिकों के लिए मुफ़लिसी में आटा गीला है क्योंकि जनता पहले ही बेरोजगारी, महंगाई से परेशानी में थी, उसपर भी महंगाई डायन की ताकत डबल सी हो गई है।
भारत में महंगाई करीब-करीब तैलीय वस्तुओ, ईडेबल ऑयल के उपयोग में रूस और अन्य देशों पर निर्भर है। भारत की रूस पर निर्भरता इस क़दर है कि कुल कारोबार भारत और रूस के बीच, चालू वित्त वर्ष करीब 9 अरब डॉलर से ज्यादा का कारोबार हो चुका है, जो पिछले साल 8 अरब डॉलर के आसपास था। भारत और रूस के बीच सबसे ज्यादा हथियार, पेट्रोलियम उत्पादों, फर्टिलाइजर्स, दालें, दवा और वाहन आदि का कारोबार प्रमुखता से होता है।
भारत ने 2020-21 में रूस से 8.5 अरब डॉलर का सामान आयात किया गया। इसमें 4.5 अरब डॉलर का पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पाद शामिल है। इस जंग का असर भारतीय किसानों पर भी पड़ता दिखाई दे रहा है, क्योंकि फर्टिलाइजर के लिए भी भारत रूस पर निर्भर है। भारत फर्टिलाइजर्स की लॉन्ग-टर्म सप्लाई के लिए रूस के साथ बातचीत कर रहा है। 2020 में भारत ने रूस से 65 करोड़ डॉलर के फर्टिलाइजर्स का आयात किया था।
भारत में कच्चे तेल की कीमत आज115 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है जो 150 तक पहुंचने का अंदेशा विशेषज्ञों ने लगाया है। इस कारण से पेट्रोल डीजल में बेतहाशा वृद्धि होने की पूरी गुंजाइश है। परिणाम स्वरूप परिवहन लागत में वृद्धि होने से हर क्षेत्र के हर उत्पाद के रेट बढ़ना तय है। यानी पहले से डेरा जमाई महंगाई डायन को युद्ध रूपी भयानक खतरनाक दैत्य मिल गया है, जो जनता के लिए घातक है।
महंगाई की स्थिति जानने के लिए ग्राउंड रिपोर्टिंग के अनुसार, बाजारों में तेलों और अन्य वस्तुओं के रेट चेक किए जाने पर यह जानकारी मिली कि जो फॉर्चून सनफ्लावर पहले एक 15 लीटर का टीन 2100 रुपए में था अब वह 2750 बताया गया और अन्य खाद्य तेलों में भी करीब 30 फ़ीसदी से अधिक की वृद्धि पाई गई। युद्ध के कारण विदेश से आने वाले पाम ऑयल के दाम में जहां वृद्धि हो गई है, वहीं अन्य खाद्यान्न तेल के दाम भी 30 फीसदी बढ़ गए हैं। दूध और कामर्शियल गैस के दाम में हुई वृद्धि से भी जनता को महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है। डीजल के दाम बढ़ने के आसार हैं। चार हजार रुपये टन लोहा का दाम बढ़ने से हाहाकार मच गया है।
क्रूड ऑयल की कीमत बढ़ने के भारत में असर कुछ यूँ है कि अभी भारत में पेट्रोल डीजल के रेट को नवंबर 2021 से स्थिर रखा गया है, जो 10 मार्च के बाद कभी भी तेजी से बढ़ सकते हैं। फिर भी ईडेबल ऑयल की कीमतों में 30 फ़ीसदी बढ़ोतरी समझ में नहीं आई। शासन-प्रशासन को पैनी नजर रखनी होगी क्योंकि अभी पुराने स्टॉक पर ही बेतहाशा वृद्धि की गई है। जो समझ से परे है। लेकिन, जब पेट्रोल डीजल के रेट बेतहाशा बढ़ेंगे और तैलीय पदार्थ, एडिबल ऑयल की धीरे-धीरे भारी किल्लत होती जाएगी, तो रेट अपने आप आसमान छूने लगेंगे। इसका स्वतः संज्ञान लेकर रणनीतिक रोडमैप सरकार को तैयार करने की ज़रूरत है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महंगाई को बल मिलने पर संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली ने रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया है। रूस पर संयुक्त राष्ट्र, नाटो, ईयू के जबरदस्त प्रतिबंध, बैंकों पर प्रतिबंध, रूसी राष्ट्रपति की निजी संपत्ति जब्ती प्रतिबंध, रूस जैसी बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था से आयात निर्यात बंद होने पर वैश्विक स्तर पर भारी असर होगा। महंगाई और बढ़ेगी। उधर, दिनांक 3 मार्च 2022 को देर रात क्वाड की मीटिंग में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा “क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान हो, कूटनीति से मामला सुलझाया जाए,बातचीत पर जोर दिया जाए।”
इधर उसी दिन यूक्रेन-रूस की देर रात दूसरे दौर की बातचीत में नागरिकों को निकालने के लिए सुरक्षित सेफ कॉरिडोर बनाने पर सहमति बनी, मानवीय मसले पर दोनों की सहमति, तीसरे दौर की बातचीत पर सहमति, अस्थाई युद्धविराम की संभावना को बल मिला। अब समस्या के समाधान की एक छोटी सी खिड़की खुली है। उम्मीद है संवाद के जरिए बातचीत का हल और समाधान निकलेगा और पूरा विश्व मिलकर फिर महंगाई डायन से मुकाबला कर उसे जड़ से निकाल कर उखाड़ फेंकेगा और संपूर्ण मानवता के लिए मानवीय अनुकूल स्थिति होंगी।
इसलिए, अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि पूरी दुनिया पर महंगाई बम फूटा है। पहले से डेरा जमाई महंगाई डायन को कच्चे तेल की तेजी से बढ़ती कीमतों का कुटिल साथ मिला है, जनता असहाय होकर देख रही है। भारत को यूक्रेन रूस युद्ध से इंधन से लेकर कृषि, दवाओं,रक्षा निर्माण सामग्री सहित अनेक क्षेत्रों पर इस जंग का असर देखने को मिल सकता है।
(ये लेखक के व्यक्तिगत विचार है)