आंकड़े बताते है कि तलाक के मामलों में युवा पीढ़ी आगे है. इसके पीछे मुख्य कारण पति-पत्नी के बीच संबंधों में प्रगाढ़ता का न होना है. पोर्न साइट्स दाम्पत्य जीवन में खलल डाल रही है. तलाक के मामलों में नव दम्पति अधिक है. इंटरनेशनल फेडरेशन के अनुसार…..
- Published by- @MrAnshulGaurav
- Thursday, May 05, 2022
बैडरूम में देर रात तक मोबाइल फ़ोन और लैपटॉप पर कार्य करने से पति-पत्नी के बीच विवाद बढ़ रहें है. आधुनिक युग के दम्पति साइको सेक्स डिसऑर्डर के शिकार हो रहें है. शरीर में डाई हाइड्रोक्सी इथाइल अमाइन नामक रसायन का स्तर तेजी से घट रहा है. जिसकी वजह से पुरुष व महिला का हॉर्मोन साइकिल प्रभावित हो रहा है. जो अब बच्चे पैदा करने में मुश्किल खड़ी कर रहा है, संतानोत्पति में बाधक बन रहा है.
इंडियन मेडिकल एजुकेशन के रिसर्च के अनुसार कुदरत ने लड़कियों को एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन एवं लड़को को टेस्टोस्ट्रोन हॉर्मोन तोहफे में दिया है, ताकि वो अपनी वंश बेल को आगे बढ़ा सकें, मगर बदलती दिनचर्या और आधुनिक उपकरणों की लत के कारण इन होर्मोनेस का स्तर गड़बड़ा रहा है. जिस से आधुनिक दम्पति बाँझपन की समस्या से लड़ रहें है.
इस से बचने के लिए हमें मोबाइल और लैपटॉप से दूरी बनानी होगी, लगातार शाम को पैदल चलने की आदत बनानी होगी. ऐसा करने से हॉर्मोन स्तर सही रहेगा और दांपत्य में खुशियाँ आएगी.
आंकड़े बताते है कि तलाक के मामलों में युवा पीढ़ी आगे है. इसके पीछे मुख्य कारण पति-पत्नी के बीच संबंधों में प्रगाढ़ता का न होना है. पोर्न साइट्स दाम्पत्य जीवन में खलल डाल रही है. तलाक के मामलों में नव दम्पति अधिक है. इंटरनेशनल फेडरेशन के अनुसार विवाह के लिए बेहतर उम्र युवती के लिए 22 और युवक के लिए 25 वर्ष होनी चाहिए. विलम्ब से विवाह विवाद का कारण बनते है. ऐसे में सन्तानोपत्ति की तरफ ध्यान ही नहीं जाता.
पिछले एक दशक में मोबाइल फोन के उपयोग में जबरदस्त वृद्धि हुई है और मानव स्वास्थ्य पर इन उपकरणों द्वारा उत्सर्जित रेडियो-फ्रीक्वेंसी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स के संभावित खतरनाक प्रभावों के बारे में चिंताएं बढ़ रही हैं. प्रारंभिक अध्ययन सेल फोन के उपयोग और बांझपन के बीच एक संभावित लिंक का सुझाव देते हैं. हाल के एक अध्ययन में पाया गया कि सेल फोन का उपयोग शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता, व्यवहार्यता और आकारिकी को कम करके वीर्य की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है.
पुरुष प्रजनन क्षमता पर मोबाइल फोन के हानिकारक प्रभाव के साक्ष्य अभी भी समान हैं क्योंकि अध्ययनों ने संभावित प्रभावों के एक व्यापक स्पेक्ट्रम का खुलासा किया है, जो मामूली प्रभावों से लेकर वृषण क्षति की परिवर्तनशील डिग्री तक है. हालांकि पिछले अध्ययनों ने पुरुष बांझपन में सेल फोन के उपयोग की भूमिका का सुझाव दिया था, पुरुष प्रजनन प्रणाली पर सेल फोन से उत्सर्जित ईएमडब्ल्यू की क्रिया का तरीका अभी भी स्पष्ट नहीं है. रेडियो-फ्रीक्वेंसी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स एक विशिष्ट प्रभाव, थर्मल आणविक प्रभाव या दोनों के संयोजन के माध्यम से प्रजनन प्रणाली को प्रभावित कर सकता है.
मानव कामुकता स्वस्थ जीवनशैली का महत्वपूर्ण घटक है, लेकिन जब मोबाइल और लैपटॉप बेडरूम में रहेंगे तो इनका नशा दम्पतियों के वैवाहिक जीवन पर असर डालने लगते हैं. नयी टेक्नॉलजी के साथ विवादों की घटनाएं लगातार जन्म ले रही हैं. आपत्तिजनक साइटें दाम्पत्य जीवन में खलल पैदा करने लगीं हैं. साइको सेक्स डिस्आर्डर पैदा हो रहे हैं. डिस्आर्डर से ग्रसित दम्पतियों के विवादों के कारण हर महीने तलाक हो रहे हैं. यह तलाक नवविवाहित जोड़ों में ज्यादा हैं लेकिन 40 पार दम्पतियों में भी हो रहे हैं.
दिन में करीब 4 घंटे तक सेल फोन को सामने की जेब में रखने से भी अपरिपक्व शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि होती है. यह पुरुषों में उनकी प्रजनन क्षमता को कम करने वाले डीएनए को भी नुकसान पहुंचा सकता है. ओहियो (अमेरिका) के क्लीवलैंड क्लिनिक फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, सेल फोन के इस्तेमाल से शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता, व्यवहार्यता और सामान्य आकारिकी को कम करके वीर्य की गुणवत्ता कम हो जाती है. इसके अलावा, कई शोधकर्ताओं द्वारा यह पाया गया है कि उच्च और मध्यम आय वर्ग के 14 प्रतिशत जोड़ों को गर्भधारण करते समय समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
दरअसल, गर्भ धारण करने की कोशिश कर रही महिलाओं के लिए सेल फोन रेडिएशन का लगातार संपर्क बहुत हानिकारक माना जाता है. लंबे समय तक संपर्क और सेलुलर विकिरण से निकटता महिलाओं में बांझपन की ओर ले जाती है क्योंकि यह अंडाशय की सामान्य गतिविधि को प्रभावित करती है. डॉक्टर और विशेषज्ञ गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ बच्चा पैदा करने के लिए अपने दैनिक सेल फोन के उपयोग की आदतों को बंद करने की सलाह देते हैं. सेल फोन द्वारा उत्पन्न विकिरण और विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र को भ्रूण के विकास को प्रभावित करने के लिए भी जाना जाता है.
बेडरूम में मोबाइल-लैपटॉप सौतन बन गए हैं और सेक्स लाइफ को बिगाड़ रहे हैं. नए परिदृश्य में इसे साइबर विडो भी कहा जा रहा है. मोबाइल-लैपटॉप दम्पतियों के बीच विवाद के कारण बनते जा रहे हैं और तेजी से तलाक की वजह बन गए हैं.के रूप में पनप रहे हैं जिसमें मारपीट तक की नौबत आ रही है. ऐसे में इन विवादों के बढ़ने से पहले ही दम्पतियों को नीम-हकीमों के पास नहीं जाना है. उन्हें मनोचिकित्सकों के पास जाकर अपनी समस्या का निदान कराना होगा.
इस बात में कोई दो राय नहीं कि तकनीक ने हमें पहले से कहीं ज्यादा काम करने के सक्षम बनाया है. वहीं दूसरी तरफ इसने लोगों को सकरात्मक और रचनात्मक सोच में भी बाधा पैदा करने का काम किया है. दुर्भाग्य की बात ये है कि बहुत से लोग शारीरिक रूप से भी तकनीक के लती हो गए हैं, जो सीधे तौर पर मानसिक और शारीरिक रूप से आपके स्वास्थ्य को बिगाड़ रहा है.
बहुत से लोगों ने टाइम पास करने के लिए फेसबुक और इंस्टाग्राम को अपना पसंदीदा ऐप बना लिया है, जिससे परिवार से उनका ध्यान बंट गया है. सोशल मीडिया पर बेवजह स्क्रॉल करने में समय बर्बाद करने के बजाय आप एक नया शौक आजमाएं जैसे कि किताब पढ़ना या फिर क्राफ्ट बनाना. इससे आपके ज्ञान चक्षु भी खुलेंगे औरआपकी समस्या का निदान होगा.
(लेखिका रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)