- Published by- @MrAnshulGaurav
- Wednesday, August 10, 2022
लखनऊ। राजधानी की मीडिया का ध्यान खींचने के लिए संयुक्त राष्ट्र खाद्य कार्यक्रम (UNWFP) की ओर से, आज होटल Comfirt Inn में एक workshop रखी गयी थी। इस Workshop के अंतर्गत, Fortified Rice (फोर्टिफाइड चावल) के बारे में बताया गया। इस workshop के दौरान, खाद्य एवंं आपूर्ति विभाग, भारत सरकार के अपर आयुक्त (Additional Commissioner) अरुण कुमार मौजूद थे।
उन्होंने पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए बताया कि ‘खाद्य सुरक्षा नेट योजनाओं’ जैसे अंत्योदय अन्न योजना (AYY), लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली, पीएम-पोषण और ICDS के माध्यम से कुपोषण और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को कम करने के भारत सरकार की महत्वकांक्षा के रूप में राज्य में Fortified चावल को शुरू किया जा रहा है।
Workshop के दौरान, फोर्टिफाइड चावल क्या होता है? भारत में इसकी ज़रूरत क्या है? और फोर्टिफिकेशन की प्रक्रिया क्या होती है? जैसे मुद्दों के बारे में बताने के लिए UNWFP की न्यूट्रीशन एंड स्कूल फीडिंग यूनिट के डिप्टी हेड डॉ. सिद्धार्थ वाघलकर मौजूद थे।
क्या होता है Fortification?
डॉ. सिद्धार्थ वाघलकर ने इस मुद्दे पर बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो फोर्टिफिकेशन का मतलब होता है टेक्नॉलॉजी के माध्यम से खाने में vitamins और minerals के स्तर को बढ़ाना। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि आहार में पोषक तत्वोंं की कमी को दूर किया जा स्के और इससे लोगों के स्वास्थ्य को भी लाभ मिल सके। इसी उद्देश्य से चावल का फोर्टिफिकेशन किया जाता है, जिसे फोर्टिफाइड चावल कहा जाता है।
चावल में पहले से ही पोषक तत्व होते ही हैं फिर उसे फोर्टिफाइड क्यों किया जाता है?
डॉ. वाघलकर कहते हैं कि आम तौर पर चावल की मिलिंग और पॉलिशिंग के समय फैट और सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर चोकर की पर्तें हट जाती हैं। चावल की पॉलिशिंग करने से 75-90% विटामिन और मिनरल्स भी निकल जाते हैं, जिसकी वजह से चावल के अपने पोषक तत्व भी ख़त्म हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि इसलिए चावल को फोर्टिफिकेशन की प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है। इस प्रक्रिया से चावल में पोषक तत्व न सिर्फ़ फिर से जुड़ जाते हैं बल्कि, और ज़्यादा मात्रा में मिलाए भी जाते हैं। डॉ वाघलकर के अनुसार, इससे चावल और ज़्यादा पौष्टिक बन जाता है।
भारत में चावल का फोर्टिफिकेशन ज़रूरी क्यों?डॉ. वाघलकर ने बताया कि भारत चावल का एक प्रमुख उत्पादक देश है। विश्व में 22 % चावल का उत्पादन अकेले भारत ही करता है। वहीं, हमारे देश में क़रीव 65% आबादी चावल का सेवन करती है। इस हिसाब से देखा जाए, तो प्रति व्यक्ति द्वारा क़रीब 6.8 किलोग्राम चावल का सेवन किया जाता है।
डॉ. वाघलकर ने आगे बताया कि भारत में खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमोंंमें चावल का वितरण भी बहुत ज़्यादा मात्रा में होता है। इसलिए, देश की ज़्यादातर आबादी के लिए चावल ऊर्जा और पोषण का एक बड़ा स्रोत है। उन्होंने कहा कि चावल कुपोषण से लड़ने के लिए चावल का फोर्टिफिकेशन एक कारगर रणनीति है।
चावल के फोर्टीफिकेशन की प्रक्रिया क्या होती है?
इस प्रक्रिया के बारे में बताते हुए डॉ. वाघलकर बताते हैं कि चावल को फोर्टिफिकेशन की प्रक्रिया के अंतर्गत, सबसे पहले सामान्य चावल का पाउडर बनाया जाता है। उसके बाद, उसमेंं सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे विटामिन- B 12, फोलिक एसिड और FSSAI के मानकों के अनुसार आयरन के तत्वों को मिलाया जाता है।
डॉ वाघलकर ने आगे कहा कि चावल के पाउडर और विटामिन और मिनरल के मिश्रण को मशीनों के ज़रिए गूंथा जाता है और एक्स्टूडर नामक मशीन से चावल के दानोंं या FRK (फोर्टिफाइड राइस कर्नेल) को निकाला जाता है। इस FRK के एक दाने (ग्राम) को सामान्य चावल के 100 दानों के अनुपात में मिलाया जाता है, जिसे Fortified Rice (फोर्टिफाइड चावल) कहते हैं।