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‘एक कदम सुरक्षित मातृत्व की ओर’ अभियान गुरुवार से, गर्भावस्था और प्रसवोपरांत महिलाओं के पोषण पर रहेगा विशेष जोर

आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर गर्भवती और धात्री को करेंगी चिन्हित

जनपद में 23.7 गर्भवती महिलाएं सौ दिन तक लेती है आयरन की गोलियां

औरैया। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए एक सितंबर से ‘एक कदम सुरक्षित मातृत्व की ओर’ अभियान चलेगा। मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत चलने वाले इस अभियान में गर्भावस्था और प्रसव के उपरांत महिलाओं के पोषण पर विशेष जोर दिया जाएगा। अभियान के तहत आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर गर्भवती और धात्री महिलाओं को चिन्हित कर सूचीबद्ध करेंगी। इससे उनकी सेहत को लेकर फालोअप किया जा सके। अभियान की सफलता के लिए सोमवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभागार में जनपद स्तरीय अधिकारियों का उन्मुखीकरण किया गया।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अर्चना श्रीवास्तव ने बताया की इस अभियान का पहला चरण एक मई से 31 मई तक चला था। इसमें जागरूकता सम्बन्धी गतिविधियां हुई थी। अब एक सितंबर से 30 सितम्बर तक दूसरा चरण चलाया जाएगा। इसमें हर गर्भवती और धात्री तक आयरन, कैल्शियम, एलबेंडाजोल, व फोलिक एसिड की उपलब्धता और दवाओं का सेवन सुनिश्चित करने का कार्य किया जाएगा। साथ ही प्रसव पूर्व जांच और समय से गोलियों के सेवन के लिए भी जागरूक किया जाएगा। अभियान में मातृ पोषण के लिए आवश्यक दवाएं निशुल्क कराई जाएंगी।

परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ शिशिर पुरी ने बताया कि गर्भावस्था व प्रसव के बाद महिलाओं को बेहतर पोषण की आवश्यकता होती है। इसके लिए मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत भोजन संबंधी सलाह के साथ सूक्ष्म पोषण तत्व फोलिक एसिड, आयरन व कैल्शियम की गोलियां दी जाती हैं। लाभार्थी को 100 दिनों तक नियमित आयरन की गोली खाने के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से ‘एक कदम सुरक्षित मातृत्व की ओर’ अभियान शुरू किया जायेगा।

जिला मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता अखिलेश ने बताया कि ‘एक कदम सुरक्षित मातृत्व की ओर’ अभियान के तहत मिलने वाली सेवा सभी स्वास्थ्य इकाईयों, ओपीडी और आईडीपी, ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी), पीएमएसएमए तथा पीएमएसएमए प्लस एवं मुख्यमंत्री जन आरोग्य मेला के माध्यम से भी दी जायेगी।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के आधार पर जिले की स्थिति

एनएफएचएस-5 के अनुसार प्रदेश में मात्र 22.3% गर्भवती महिलाओं ने ही 100 दिनों तक आयरन की गोलियों का सेवन किया है। जबकि जनपद में 23.7 % गर्भवती ने 100 दिनों तक आयरन की गोलियां खाई हैं। वहीँ 180 दिन तक आयरन की गोली सेवन करने वाली गर्भवती का प्रदेश स्तर पर प्रतिशत 9.7 है, तो जिला स्तर पर इसका प्रतिशत 10.7 है।

अभियान के दौरान आयोजित होने वाली गतिविधियां

• प्रथम त्रैमास वाली सभी गर्भवती को फोलिक एसिड उपलब्ध कराना।
• दूसरे और तृतीय त्रैमास की सभी गर्भवती से पूर्व में दिए गए आयरन, फोलिक एसिड, कैल्शियम की गोलियों के बारे में जानकारी लेना तथा अगले दिनों के लिए दवा उपलब्ध कराना।
• सभी गर्भवती का वजन व लंबाई लेना। इसके लिए वजन मशीन और टेप का प्रयोग किया जाए।
• पिछली प्रसवपूर्व जांच में लिए गए वजन से तुलना कर वजन में वृद्धि का आंकलन करना।
• सभी गर्भवती के पेट की जांच करना।
• उच्च जोखिम गर्भावस्था(एचआरपी) वाली महिलाओं की पहचान करना और उन्हें चिकित्सा इकाईयों पर संदर्भित करना।
• आशा, आंगनबाड़ी और एएनएम द्वारा उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिलाओं का फॉलोअप करना।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर 

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