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वसुधैव कुटुम्बकम से विश्व शांति

विकसित देशों के अनेक मसलों पर निहित स्वार्थ रहे हैं. इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से लेकर जी 20 में भी देखा जा सकता है. इस कारण इंडोनेशिया शिखर बैठक में भी मतभेद दिखाई दिए थे. रूस के राष्ट्रपति ने तो इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया था. उस दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ही सहमति का एक रास्ता प्रस्तावित किया था. इस अमेरिका और यूरोपीय देश भी सहमत हुए थे. यह स्वीकार किया गया कि रूस यूक्रेन युद्ध का समाधान भारत ही कर सकता है.इंडोनेशिया में ही भारत को इस संगठन की अध्यक्षता सौपी गई थी. इस माहौल में नरेन्द्र मोदी को वसुधैव कुटुम्बकम विचार ही कारगर लगा. उन्होंने इसको ही जी 20 का ध्येय वाक्य बनाया।

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जी ट्वेंटी विश्व का सर्वाधिक मजबूत वैश्विक संगठन माना जाता है। वैश्विक मामलों में ऐसे संगठनों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इन संगठनों में भी पांच- छह देश अधिक शक्तिशाली हैं। इसी के अनुरूप सम्मेलनों में इन्हें स्थान मिलता था। भारत विकसित देशों में शामिल नहीं है। फिर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे सम्मेलनों में भारत की गरिमा को पहले भी बढ़ाया है। मोदी की इसमें सहभागिता के बाद शिखर सम्मेलन में भारत को सबसे अधिक प्राथमिकता मिलने लगी है. पहले भी नरेन्द्र मोदी ने वैश्विक समस्याओं को टालते रहने की नीति को गलत बताया था। अब तक जी ट्वेंटी में कुल मिलाकर यही चल रहा था। विकसित देशों के अपने स्वार्थ थे। वह उनसे बाहर नहीं निकलना चाहते थे। भविष्य की चिंता को दरकिनार कर वर्तमान को ही देखा जा रहा था। वैसे यही पश्चिमी देशों की उपभोगवादी सभ्यता है। इसके चलते यह संगठन भविष्य के प्रति लापरवाह रहा है।

चीन एक खलनायक की तरह है। उसका जितना विरोध होना चाहिए , वह नहीं होता। यही कारण है कि वह समुद्री सीमा में विस्तार कर रहा है। आतंकवाद का समर्थन करता है। यह समस्या बढ़ रही है। नरेंद्र मोदी ने इन सबकी तरफ सम्मेलन का ध्यान आकृष्ट किया था. उनकी भागीदारी कई हिस्सों में देखा जा सकता है। ऐसा भी अवसर आया था कि हला उन्होंने जी ट्वेंटी शिखर सम्मेलन, ब्रिक्स देशों और फिर अमेरिका, जापान के साथ त्रिपक्षीय बैठक को संबोधित किया था. इसके अलावा रूस, चीन, जर्मनी ,ब्रिटेन आदि देशों के साथ उनकी द्विपक्षीय मुलाकात भी सार्थक रही थी. तब नरेन्द्र मोदी ने साझा मूल्यों पर साथ मिलकर काम जारी रखने पर जोर दिया था. जापान का जी,अमेरिका का ए और इंडिया के ई को मिलाकर मोदी ने जय शब्द बनाया। उनके अनुसार जापान अमेरिका और इंडिया की यह दोस्ती जीत हासिल करेगी। जी ट्वेंटी शिखर सम्मेलन अर्जेंटीना की राजधानी में ब्यूनर्स आयर्स में आयोजित हुआ था।अमेरिकी राष्ट्रपति,भारत और जापान के प्रधानमंत्री की बैठक को बहुत महत्व मिला था।

तीनों नेताओं के बीच त्रिपक्षीय मसलों पर काफी देर तक बातचीत हुई। इसमें चीन द्वारा समुद्री क्षेत्र में नियम विरुद्ध किये जा रहे अतिक्रमण पर भी विचार हुआ। दक्षिण चीन सागर से प्रतिवर्ष करीब तीन खरब डॉलर का वैश्विक व्यापार होता है। अमेरिका ने यहां मुक्त परिवहन सुनिश्चित करने की लिए अपने गश्ती दल लगाए हैं। चीन इसका विरोध करता है। अब अमेरिका को भारत व जापान का खुला समर्थन मिलेगा। इसमें कुछ अन्य देश भी शामिल हो सकते है। भारत, जापान और अमेरिका के बीच पहली त्रिपक्षीय वार्ता वाशिंगटन में हुई थी। उसमें तीनों देशों के बीच एशिया प्रशांत क्षेत्र सहित कई मुद्दों चर्चा हुई थी। चीन पूरे दक्षिण चीन सागर में अपनी गतिविधियां तेज कर रहा है। जबकि वियतनाम, फिलीपींस, मलयेशिया, ब्रुनेई और ताइवान इसके जलमार्गों पर अपना दावा करते हैं।

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मोदी, ट्रंप और आबे बहुपक्षीय सम्मेलनों में ऐसी बैठक करने पर पहले ही योजना बना चुके थे। जी ट्वेंटी समिट में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काले धन पर भी चर्चा की और उसके खिलाफ दुनियाभर के सभी विकासशील देशों से साझा प्रयास का आह्वान किया था। उन खतरों की ओर भी ध्यान दिलाया, जिनका सामना आज पूरी दुनिया कर रही है , इनमें आतंकवाद और वित्तीय अपराध दो सबसे बड़े खतरे हैं। विकासशील देशों की जरूरतों पर सबसे पहले ध्यान देने की आवश्यकता है। विश्व के सामने आतंकवाद और पर्यावरण संरक्षण सबसे बड़ा मुद्दा है। इसके साथ विकसित देशों को विकासशील देशों की जरूरतों को ध्यान में रखना होगा। विकासशील देशों की प्राथमिकताओं को भी जी ट्वेंटी के एजेंडा में प्राथमिकता मिलेगी।

वैश्वीकरण और बहुपक्षवाद में सुधार के लिए भारत प्रतिबद्धता है। संयुक्त राष्ट्र के आतंकवादरोधी नेटवर्क को मजबूत बनाने का भी प्रयास होना चाहिए। तभी विश्व में शांति- सौहार्द कायम होगा। भारत ने नियम आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली का आह्वान किया। बढ़ते संरक्षणवाद के बीच ब् पारदर्शी, भेदभाव रहित, खुला और संयुक्त अंतरराष्ट्रीय व्यापार सुनिश्चित करने पर जोर दिया। भारत को उम्मीद है कि चीन भी पूर्वाग्रहों को छोड़कर आगे बढ़ेगा। एशिया के दोनों शक्तिशाली मुल्कों को आगे आकर दुनिया को एक नई व्यवस्था देनी है। भारत एशिया प्रशांत क्षेत्र और आतंकवाद का मुद्दा उठाता रहा है. सभी सदस्य देशों को अच्छे संबंधों में बाधक तत्वों को दूर करना होगा। यह बात चीन पर विशेष रूप से लागू होती है. क्योंकि गड़बड़ी भी उसी की तरफ से होती रही है।

जी ट्वेंटी के ध्येय वाक्य ने भी सदस्य देशों का नजरिया बदला है. वैश्वीक समस्याओं के समाधान पर नए सिरे से विचार विमर्श किया जा रहा है. नरेन्द्र मोदी के अनुसार यदि मनुष्य स्वाभाविक रूप से स्वार्थी है, तो हम सभी में मूलभूत एकात्मता की हिमायत करने वाली इतनी सारी आध्यात्मिक परंपराओं के स्थायी आकर्षण को कैसे समझा जाए.भारत में प्रचलित ऐसी ही एक परंपरा है जो सभी जीवित प्राणियों और यहां तक कि निर्जीव चीजों को भी एक समान ही पांच मूल तत्वों— पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के पंचतत्व से बना हुआ मानती है। इन तत्वों का सामंजस्य हमारे भीतर और हमारे बीच भी, हमारे भौतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय कल्याण के लिए आवश्यक है। भारत की जी 20 की अध्यक्षता दुनिया में एकता की इस सार्वभौमिक भावना को बढ़ावा देने की ओर काम करेगी। इसलिए हमारी थीम ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ है। ये सिर्फ एक नारा नहीं है। ये मानवीय परिस्थितियों में उन हालिया बदलावों को ध्यान में रखता है, जिनकी सराहना करने में हम सामूहिक रूप से विफल रहे हैं. आज हम जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और महामारी जैसी जिन सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उनका समाधान आपस में लड़कर नहीं, बल्कि मिलकर काम करके ही निकाला जा सकता है।

सौभाग्य से आज की जो तकनीक है वह हमें मानवता के व्यापक पैमाने पर समस्याओं का समाधान करने का साधन भी प्रदान करती है। आज हम जिस विशाल वर्चुअल दुनिया में रहते हैं, वह डिजिटल प्रौद्योगिकियों की मापनीयता को प्रदर्शित करती है। भारत इस सकल विश्व का सूक्ष्म जगत है जहां विश्व की आबादी का छठवां हिस्सा रहता है और जहां भाषाओं, धर्मों, रीति-रिवाजों और विश्वासों की विशाल विविधता है। सामूहिक निर्णय लेने की सबसे पुरानी ज्ञात परंपराओं वाली सभ्यता होने के नाते भारत दुनिया में लोकतंत्र के मूलभूत डीएनए में योगदान देता है। लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत की राष्ट्रीय सहमति किसी फरमान से नहीं, बल्कि करोड़ों स्वतंत्र आवाजों को एक सुरीले स्वर में मिलाकर बनाई गई है। जी 20 अध्यक्षता के दौरान हम भारत के अनुभव, ज्ञान और प्रारूप को दूसरों के लिए, विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए एक संभावित टेम्प्लेट के रूप में प्रस्तुत करेंगे। भारत की जी20 प्राथमिकताओं को; न केवल हमारे जी2 भागीदारों, बल्कि वैश्विक दक्षिण में हमारे साथ-चलने वाले देशों, जिनकी बातें अक्सर अनसुनी कर दी जाती है, के परामर्श से निर्धारित किया जाएगा। हमारी प्राथमिकताएं: हमारी ‘एक पृथ्वी’ को संरक्षित करने, हमारे ‘एक परिवार’ में सद्भाव पैदा करने और हमारे ‘एक भविष्य’ को आशान्वित करने पर केंद्रित होंगी।

रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री

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