राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने कहा कि पशुपालन का हमारे देश की कृषि और अर्थव्यवस्था में विशेष योगदान रहा है। ये हमारी संसकृति का एक हिस्सा है। गाय की सेवा करना हमारी परम्पराओं का हिस्सा है। पशुओं को स्वस्थ बनाने की दिशा में केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इन्ही प्रयासों के कारण देश में दूध उत्पादन बढ़ा है।
आनंदीबेन पटेल पंडित दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सा विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान, मथुरा के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहीं थीं। उन्होने कहा कि इण्डस्ट्री और खेती दो ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पानी की खपत बहुत है। इन सेक्टर्स से जुड़े लोगों को जल संरक्षण के प्रति अभियान चलाकर जागरूक कराना चाहिए।
केन्द्र सरकार द्वारा कम पानी में सिंचाई के लिए “पर ड्राप मोर क्राप” अभियान चलाया जा रहा है। केन्द्र सरकार द्वारा भविष्य में देश को जलसंकट से बचाने के लिए “अमृत सरोवर योजना” के तहत प्रत्येक जनपद में तालाबों के निर्माण से जल संचयन में सफलता मिल रही है। पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण अभियान भी सफ़लता के साथ आगे बढ़ रहा है।
समारोह का उद्घाटन राज्यपाल ने मटकी में जलधारा अर्पित कर जल संरक्षण के संदेश के साथ किया।
उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री ने मोटे अनाज को “श्री अन्न” का नाम दिया है और उनके प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष-2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया है।
स्वास्थय की दृष्टि से लाभकारी श्री अन्न का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
उन्होंने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों से राष्ट्र निर्माण के कार्यों और सामाजिक उन्नति में योगदान की अपेक्षा करते हुए कहा कि किसी भी देश की प्रगति उस देश की शिक्षा, अनुसंधान कार्यों सामाजिक विकास, स्वच्छता से जानी जाती है। उन्होंने कहा कि सामाजिक जीवन में उन्नति करने वाले देश आज विश्व के विकसित देशों में गिने जाते हैं।
रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री