लखनऊ। सीआईआई, गोमतीनगर में चल रहे लखनऊ लिट्रेचर फेस्टिवल मेटाफर के दूसरे दिन के प्रारंभिक सत्र में डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की शिक्षिका डॉ अलका सिंह ने अपने नए काव्य संग्रह, “थॉट्स डेट अप्रैल” पर चर्चा करते हुए साहित्य और अकादमिक संबंधों के महत्व को रेखांकित किया।
उन्होने कहा हम सब जिन कहानियों को जीते हैं, पढ़ते हैं, समस्याओं का सामना करते हैं वे सब हमारे ज्ञान को विस्तृत करता है। एक शिक्षक और छात्र का संवाद ही विषय की गहनता का दर्शन और दिशा को शोषपरख बनाता है और रचनात्मकता के विकसित स्वरूप निर्धारण करती है।
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डॉ अलका सिंह ने गरिमा सिंह, निदेशक, लखनऊ पब्लिक कॉलेज ऑफ़ प्रोफेशनल स्ट्डीज, द्वारा पूछे गए प्रश्नों की श्रृंखला में महिलाओं और बच्चों के मनोवैज्ञानिक परिवेशों पर चर्चा करते हुए कहा की किसी भी प्रकार के संवाद और साहित्य की संरचना में एक महिला का दृष्टिकोण बहुत महत्वपूर्ण है।
साहित्य और संस्कृति के निर्माण में महिला केंद्रित धूरी नए विचारों, काव्यों, और समाजिक संस्थाओं को नया रूप प्रदान करने की छमता रखती है।
हमारी, समाजिक, आर्थिक एवं न्यायिक प्रणाली हमारे साहितिक लेखन में परिलक्षित होती है, यहां तक कि राजनीति साहित्य को जन्म देता है या साहित्य राजनैतिक और समाजिक परिवेशाें को समृद्ध कर संस्कृतियों के निर्माण का कारक है, कहना प्रासंगिक है।
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आज अकादिमिक संस्थाओं द्वारा संचालित तमाम अंतर्विषयक कार्यक्रम एवं पाठ्यक्रम कुछ महत्वपूर्ण साहित्य की भूमिका में देखे जा सकते हैं। डॉ अलका ने अपने लेखन को “लिट्रेचर विद ए काज” की संज्ञा दी।