नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के सख्त फरमान के बाद भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और निर्वाचन आयोग (ECI) ने राजनीतिक दलों को मिले चंदे का विवरण सार्वजनिक किया। इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से मिले करोड़ों रुपये का चंदा अब तक सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं था। हालांकि, एक मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पारित सख्त आदेश के बाद एसबीआई ने बॉन्ड खरीदने वाले लोगों के नाम सार्वजनिक किए हैं। एसबीआई ने अपनी सूचना निर्वाचन आयोग को मुहैया कराई। इसके बाद आयोग ने 14 मार्च की रात लगभग आठ बजे 700 पन्नों से अधिक का डेटा अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड किया। इसमें एक दस्तावेज बताता है कि बॉन्ड किसने और कितने मूल्य का खरीदा। दूसरे डॉक्यूमेंट में बॉन्ड भुनाने वाली पार्टियों का विवरण दर्ज है।
सभी पार्टियों को मिलाकर भी भाजपा की तुलना में 839 करोड़ रुपये कम
आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को अप्रैल, 2019 से जनवरी, 2024 के बीच करोड़ों रुपये का चंदा मिला है। इसी अवधि में अकेले भाजपा को 6,060.51 करोड़ रुपये मिले। यानी देश के सभी क्षेत्रीय दलों को मिलाने के बाद भी भाजपा को 839 करोड़ रुपये अधिक चंदा मिला। भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) सरीखे राष्ट्रीय दलों को भी करोड़ों रुपये मिले। हालांकि, चौंकाने वाली बात रही कि बसपा, सीपीआई-एम और एनपीपी जैसी राष्ट्रीय पार्टियों को बॉन्ड के जरिए एक भी रुपये का दान / चंदा नहीं मिला।
बंगाल से तमिलनाडु तक चार राज्यों में सत्तारूढ़ पार्टियों को करोड़ों रुपये चंदा मिला
जिन क्षेत्रीय सियासी दलों को 5221 करोड़ रुपये मिले हैं, इनमें पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC), आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी- वाईएसआर कांग्रेस, दशकों से ओडिशा की सत्ता पर काबिज बीजू जनता दल (बीजद) और लगभग पांच साल पहले तमिलनाडु में सरकार बनाने वाली द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के नाम भी शामिल हैं।