पुणे। कोरेगांव भीमा Koregaon Bhima जंग की 201वीं बरसी पर महाराष्ट्र के पुणे जिले में ‘जय स्तम्भ’ स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए हजारों दलित शामिल होंगे। 1818 की लड़ाई की वर्षगांठ के मौके पर पिछले साल 1 जनवरी को हुई जातिगत झड़पों में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे। पिछले बार की घटना से सबक लेते हुए किसी भी अनहोनी से बचने के लिए कोरेगांव भीमा व उसके आसपास भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
पुणे में इंटरनेट सेवाएं भी बंद,चप्पे चप्पे की निगरानी
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक सुरक्षा की दृष्टि से 5,000 पुलिस कर्मियों, 1200 होमगार्ड जवानों, एसआरपीएफ की 12 कंपनियों और 2,000 दलित स्वयंसेवकों को तैनात किया गया है। इसके अलावा 500 सीसीटीवी कैमरे, 11 ड्रोन कैमरे और 40 वीडियो कैमरों की मदद से चप्पे चप्पे की निगरानी की जा रही है। पुणे जिले में कुछ जगहों पर इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं।
1 जनवरी 1818 को बड़ी संख्या में महार सैनिक शहीद
मालूम हो कि,1 जनवरी 1818 को पुणे जिले के कोरेगांव भीमा युद्ध में अंग्रेजों और पुणे के बाजीराव पेशवा द्वितीय के बीच युद्ध हुआ था। अंग्रेजी सेना में महाराष्ट्र के महार (दलित) समाज के सैनिक थे और पेशवा की सेना में मराठा शामिल थे। इस दौरान पेशवा की सेना हार गयी थी। इस जंग में बड़ी संख्या में महार सैनिकों के शहीद होने के कारण हर साल पुणे के भीमा में “जय स्तंभ” स्मारक पर दलित समुदाय के लोग श्रद्धांजलि देने पहुंचते हैं।
जिग्नेश ने पेशवाओं के खिलाफ भड़काऊ बयान
ज्ञात हो, बीते साल 31 दिसंबर को दलितों के संगठन “शनिवारवाड़ा यलगार परिषद” ने पेशवाओं के ऐतिहासिक निवास शनिवार वाड़ा के बाहर कार्यक्रम आयोजित किया था। इसमें दलितों के नेता जिग्नेश ने पेशवाओं के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए थे। जिसके चलते श्रद्धांजलि कार्यक्रम में हालात बिगड़ गए थे। इतना ही नहीं अहमदनगर हाइवे पर दोनों समुदाय के बीच हुई झड़प में एक व्यक्ति मौत के बाद मामला काफी उग्र हो गया था।