•चैत्र नवरात्र के प्रतिपदा के दिन श्रद्धालुओं रही भीड़
अयोध्या। चैत्र नवरात्र के प्रतिपदा के पावन अवसर पर रामनगरी स्थित देवी मंदिरों में भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। शाक्त परम्परा के देवी मंदिरों के अलावा वैष्णव परम्परा के मंदिरों में कलश स्थापना के साथ नौ दिवसीय अनुष्ठान का श्रीगणेश हो गया। देवी मंदिरों में जहां दुर्गा सप्तशती का पारायण शुरू हुआ। वहीं श्री राम जन्मभूमि व हनुमानगढ़ी सहित सभी वैष्णव मंदिरों में श्रीरामचरितमानस का नवाह्न पारायण भी शुरू हो गया है।
नवरात्र को लेकर भगवान श्रीराम की कुलदेवी कहलाने वाली मां बड़ी देवकाली के अलावा अयोध्या नगर के छोटी देवकाली सहित विभिन्न देवी मंदिरों मंगलवार भोर से ही आज तक का जनसैलाब देखने को मिला। श्रद्धालुओं ने देवी की पूजा अर्चना विधि विधान से की।
डीजीपी ने दिया निर्देश, मानसिक रूप से परेशान और नशेड़ी पुलिसकर्मियों को शस्त्र देकर न कराएं ड्यूटी
भक्त नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा कर रहे है। पंडित राहुल शास्त्री ने बताया कि पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या थीं, तब इनका नाम सती था। इनका विवाह भगवान शंकर से हुआ था।
प्रजापति दक्ष के यज्ञ में सती ने अपने शरीर को भस्म कर अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती और हैमवती भी उन्हीं के नाम हैं। उपनिषद की एक कथा के अनुसार, इन्हीं ने हैमवती स्वरूप से देवताओं का गर्व- भंजन किया था। नवदुर्गाओं में प्रथम शैलपुत्री का महत्व और शक्तियां अनन्त हैं। नवरात्र पूजन में प्रथम दिन इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है।
रिपोर्ट-जय प्रकाश सिंह