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जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए जा रहे हैं ओडिशा, इन प्रसिद्ध मंदिरों के भी करें दर्शन

7 जुलाई 2024 से विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा आरंभ हो रही है। ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर से रथ यात्रा की शुरुआत होती है, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। रथ यात्रा में शामिल होने के लिए देशभर से पर्यटक ओडिशा पहुंच रहे हैं। इस दौरान जगन्नाथ पुरी मंदिर के आसपास काफी भीड़ हो जाती है। जो यात्री सुदूर जगहों से रथ यात्रा में शामिल होने के लिए ओडिशा पहुंच रहे हैं वो इस यात्रा को सिर्फ जगन्नाथ मंदिर तक सीमित न करें। भुवनेश्वर और आसपास कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिसके दर्शन करने भी आप जा सकते हैं।

लिंगराज मंदिर, भुवनेश्वर

ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर स्थित है। लिंगराज मंदिर पुरी के जगन्नाथ मंदिर का सहायक शिव मंदिर है। मान्यता है कि जगन्नाथ मंदिर के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु लिंगराज मंदिर में दर्शन करके अपनी यात्रा को पूरा करते हैं। इस मंदिर में भगवान शिव हरिहर रूप में विराजमान हैं, यानी शिव और विष्णु एक संयुक्त रूप में विराजमान हैं। लिंगराज मंदिर कलिंग और देउला शैली से निर्मित है। मंदिर को चार भागों में बांटा गया है, जिसमें गर्भ गृह, यज्ञ शाला, भोग मंडप और नाट्यशाला शामिल है। इसके साथ ही मंदिर के आंगन में देवी भगवती को समर्पित एक छोटा सा मंदिर बना है।

मुक्तेश्वर मंदिर, भुवनेश्वर

भुवनेश्वर में ही 10वीं शताब्दी में निर्मित मुक्तेश्वर मंदिर स्थित है। मंदिर कलिंग शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। इस मंदिर के शीर्ष पर देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं, जिस में बौद्ध प्रभाव नजर आता है। वहीं मंदिर की एक खास बात ये है कि यहां जो तोहण और मेहराब बंधे हैं, जिसे महिलाओं के गहनों और दूसरे जटिल आभूषणों से तैयार किया गया है।

सूर्य मंदिर, कोणार्क

ओडिशा के सबसे आकर्षित गंतव्यों में से एक कोणार्क है। कोणार्क में स्थित सूर्य मंदिर भारत के सात अजूबों में से एक माना जाता है। साथ ही यूनेस्को ने सूर्य मंदिर कोणार्क को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया है। मंदिर की नक्काशी देखने के लिए दूरदराज से लोग यहां आते हैं। मंदिर में भगवान सूर्यनारायण विराजमान हैं । मंदिर के चारों तरफ 12 रथ के पहिए लगे हैं, जिसे सात घोड़े खींच रहे हैं। इस रथ में सूर्य देवता विराजमान हैं। मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में करवाया गया था।

राजरानी मंदिर, भुवनेश्वर

राजधानी भुवनेश्वर में राजरानी मंदिर भी है। इस मंदिर को प्रेम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर की नक्काशी कामुक जोड़ों से परिपूर्ण है। इसके अलावा मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह को दर्शाती मूर्तियां भी हैं। हालांकि मंदिर के गर्भगृह में कोई चित्र नहीं है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भी तभी हुआ था, जब जगन्नाथ मंदिर बना था।

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