प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट में बुधवार को बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर (Banke Bihari Temple Corridor) मामले में भीड़ प्रबंधन को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। मंदिर के सेवायतों ने जनहित याचिका पर सवाल उठाया। कहा कि यह जनहित याचिका पोषणीय नहीं है। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने सुनवाई को चार सितंबर तक के लिए टाल दी।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट में बांके बिहारी कॉरिडोर के अभाव में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर मथुरा में उमड़ने वाली भीड़ को लेकर दाखिल याचिका दायर की गई है। पिछली सुनवाई के दौरान दोनों तरफ से वकीलों ने अपने तर्क दिए। जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई को 28 सितंबर तक के लिए टाल दिया था।
बुधवार को जब इस मामले की सुनवाई शुरू हुई तो मंदिर के सेवायतों ने जनहित याचिका पर ही सवाल खड़े करते हुए कहा कि यह याचिका पोषणीय नहीं है। इस केस की सुनवाई न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की खंडपीठ कर रही है।
इससे पहले इस याचिका पर लंबी सुनवाई की गई थी। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का हवाला देते हुए वृंदावन (मथुरा) बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के लिए प्रदेश सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। न्यायालय ने मंदिर के आसपास के अतिक्रमण को हटाने का निर्देश दिया है। हालांकि, उसने कॉरिडोर निर्माण के लिए देवता के बैंक खाते से 262.50 करोड़ रुपये के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।