यह है समस्या
अस्थमा एक तरह से एलर्जी का ही एक प्रकार है. इसमें कुछ कारणों से बार-बार सांस लेने में तकलीफ व खांसी की समस्या होती है. हालांकि हर आयु व प्रकृति के आदमी व समस्या की गंभीरता के अनुसार भ्रमण की प्रवृत्ति भिन्न-भिन्न हो सकती है. इससे मरीज दिन में एक दो बार या कई बार या सप्ताह में कुछ बार परेशान होता है. कुछ इतने परेशान हो जाते हैं कि दैनिक काम ही नहीं कर पाते.अस्थमा अटैक
शुद्ध हवा को मुंह व नाक के जरिए फेफड़ों तक पहुंचाने वाली ब्रॉन्कियल ट्यूब में सूजन आने से सांस लेने में बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है. अस्थमा अटैक के दौरान इन ट्यूब की लाइनिंग में सूजन बरकरार रहने से नलियां सिकुड़ जाती हैं व आदमी को सांस लेने में बाधा आती है. लक्षणों का बार-बार सामना करने से मरीज को नींद न आने, दिनभर थकान व मन न लगने की शिकायत रहती है.
कारण
अस्थमा एक तरह से एलर्जी का ही रूप है. इसमें एलर्जी के कारणों के सम्पर्क में आने से अस्थमा अटैक आता है. इसके कई कारण हैं- इंडोर एलर्जन्स (घर में उपस्थित धूल-मिट्टी के बारीक कण, पालतू के बाल, किटाणू) के अतिरिक्त घर के बाहर पोलन्स, हवा में उपस्थित सूक्ष्म कण, धूम्रपान, तंबाकू चबाना, कैमिकल के सम्पर्क में आना शामिल हैं.
करें विशेषज्ञ से संपर्क
वैसे तो नियमित रूप से दवाएं लेने व सावधानियों को बरतकर इस बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है. लेकिन कई बार आकस्मित ही मरीज को अस्थमा अटैक आ सकता है. ऐसे में तुरंत डॉक्टरी सलाह लेना महत्वपूर्ण होता है.
प्रमुख जांचें हैं महत्वपूर्ण
अस्थमा के लक्षणों व मरीज की हालत देखकर रोग की पुष्टि करने के लिए विशेषज्ञ कई तरह की जांचें प्रमुख रूप से करते हैं. जानते हैं इनके बारे में-
स्पाइरोमेट्री : यह एक सामान्य टैस्ट है, जिससे सांस लेने की गति की पहचान की जाती है.
चेस्ट एक्सरे : संक्रमित फेफड़ों की स्थिति का पता लगाने के लिए चेस्ट एक्सरे करना महत्वपूर्ण होता है. इसमें फेफड़ों में अस्थमा ही नहीं बल्कि अन्य समस्याओं का भी पता करते हैं.
पीक फ्लो : यह विशेष प्रकार का टैस्ट होता है. इसमें यह पता लगाते हैं कि मरीज अपने फेफड़ों से सांस को सामान्य ढंग से ले पा रहा है व छोड़ पा रहा है या नहीं. इस परीक्षण के दौरान मरीज को तेजी से सांस लेने की सलाह देते हैं.
शारीरिक परीक्षण : मरीज के स्वास्थ को गंभीरता से देखते हैं. खासतौर पर मरीज के सीने पर घरघराहट की आवाज को महसूस करते हैं. अस्थमा की गंभीरता का पता चलता है.
एलर्जी टैस्ट : अस्थमा के मरीजों में सबसे पहले एलर्जी टैस्ट किया जाता है. इसमें विभिन्न प्रकार के एलर्जन्स के सहारे मरीज में अस्थमा के कारक यानी एलर्जन की पहचान की जाती है.