• सीएमओ ने बच्चों को एल्बेंडाजॉल दवा खिलाकर किया शुभारम्भ
• नहीं खा पाएं कृमि मुक्ति की दवा तो मापअप राउंड में खा लें
• 13 से 15 फरवरी को छूटे बच्चों के लिए चलेगा मॉप अप राउंड
कानपुर नगर। जिले में शुक्रवार को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कृमि मुक्ति की दवा खिलाकर अभियान का शुभारंभ किया। यह दवा एक वर्ष से 19 वर्ष उम्र तक के सभी लोगों को खानी है। शहर के कृष्णा नगर क्षेत्र के जमुना देवी बालिका इंटर कॉलेज और श्री नागर जी इण्टर कॉलेज में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आलोक रंजन की मौजूदगी में अभियान का शुभारंभ हुआ।
कुपोषण का कारण बनते हैं पेट के कीड़े- जिलाधिकारी
सीएमओ ने बताया कि जिले में 17.94 लाख बच्चों और किशोरों को कृमि मुक्ति की दवा यानि पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाने के उद्देश्य से यह अभियान शुरू हुआ है। किसी कारण आज जो बच्चे दवा नहीं खा पाए हैं उनको 13 से 15 फरवरी तक चलने वाले मॉपअप राउंड में दवा खिलाई जाएगी। उन्होंने अभिभावकों से अपील की है कि वह अपने बच्चों को पेट के कीड़े मारने की दवा अवश्य खिलाएं। इस दवा से किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।
नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ सुबोध प्रकाश ने बताया कि एक से 19 वर्ष तक आयु के लक्षित करीब 17 लाख 94 हज़ार 400 बच्चों को कृमि संक्रमण से बचाने के लिए 10 फरवरी को चिन्हित स्कूल-कॉलेज और आंगनबाड़ी केंद्रों पर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान के तहत एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई गयी।
उन्होंने कहा कि बीमार बच्चे को कृमि मुक्ति की दवा नहीं खिलाई जाएगी। यदि किसी भी तरह उल्टी या मिचली महसूस होती है तो घबराने की जरूरत नहीं। पेट में कीड़े ज्यादा होने पर दवा खाने के बाद सरदर्द, उल्टी, मिचली, थकान होना या चक्कर आना महसूस होना एक सामान्य प्रक्रिया है। दवा खाने के थोड़ी देर बाद सब सही हो जाता है।
जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक योगेंद्र पाल ने बताया कि शुक्रवार को जनपद के सभी स्कूल-कॉलेज और आंगनबाड़ी केंद्रों में कृमि से मुक्ति (पेट के कीड़े निकालने) के लिए एल्बेंडाजोल की दवा खिलाई गयी। उन्होंने कहा कि किसी भी अभिभावक को यह टेबलेट रखने या बाद में खिलाने के लिए नहीं देनी है। यह दवा आशा व आगंनबाड़ी के सामने ही बच्चों को खिलानी है।
क्यों खाएं दवा
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के डीईआईसी मैनेजर अजीत सिंह ने बताया कि बच्चे अक्सर कुछ भी उठाकर मुंह में डाल लेते हैं या फिर नंगे पांव ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे उनके पेट में कीड़े विकसित हो जाते हैं। इसलिए एल्बेन्डाजॉल खाने से यह कीड़े पेट से बाहर हो जाते हैं।
अगर यह कीड़े पेट में मौजूद हैं तो बच्चे के आहार का पूरा पोषण कृमि हजम कर जाते हैं। इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है। बच्चा धीरे-धीरे खून की कमी (एनीमिया) समेत अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। कृमि मुक्ति दवा बच्चे को कुपोषण, खून की कमी समेत कई प्रकार की दिक्कतों से बचाती है।
इस दौरान जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह, सहयोगी संस्था एविडन्स एक्शन के प्रतिनिधि योगेन्द्र सिंह, जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक, जिला कार्यक्रम अधिकारी, आरबीएसके से डीइआईसी मैनेजर सहित स्कूल के अध्यापक और बच्चे मौजूद रहे।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर