भारत और वेस्टइंडीज के बीच शुक्रवार को हैदराबाद में तीन टी20 मैचों की सीरीज का पहला मुकाबला खेला जाना हैं. दोनों टीमें इस मुकाबले के लिए अपनी-अपनी कमर कस चुकीं हैं. वहीं आईसीसी ने सभी को हैरान करते हुए इस मुकाबले से पहले नियमों में बड़ा बदलाव किया है. दरअसल, लगातार हो रही खराब अंपायिंग के बाद आईसीसी ने निर्णय लिया हैं कि भारत और वेस्टइंडीज के बीच होने जा रही सीरीज से ‘फ्रंट फुट नोबॉल’का फैसला मैदानी अंपायर नहीं बल्कि थर्ड अंपायर लेगा. इस दौरान ‘फ्रंट फुट नोबॉल’ पर फैसला करने की तकनीक को ट्रायल पर रखा जाएगा.
भारत और वेस्टइंडीज के बीच होने वाली सीरीज के दौरान ‘फ्रंट फुट नोबॉल’ पर फैसला करने की तकनीक को ट्रायल पर रखा जाने संबंधी अपने निर्मय पर आईसीसी ने एक बायान जारी किया है. आईसीसी ने अपने बयान में कहा,’पूरे ट्रायल के दौरान प्रत्येक फेंकी गई गेंद की निगरानी की जिम्मेदारी तीसरे अंपायर पर होगी और उन्हें ही पता करना होगा कि कहीं गेंदबाज का पांव रेखा से आगे तो नहीं पड़ा. अगर गेंदबाज का पांव रेखा से आगे होता है तो तीसरा अंपायर इसकी सूचना मैदानी अंपायर को देगा जो बाद में नो-बॉल का इशारा करेगा. नतीजतन मैदानी अंपायर तीसरे अंपायर की सलाह के बिना ‘फ्रंट फुट नोबॉल’ पर फैसला नहीं करेगा.’
वहीं इस दौरान आईसीसी ने एक बात को साफ तौर पर कहा कि संदेह के फैसलों का लाभ गेंदबाज को दिया जाएगा. आईसीसी ने अपने बयान में आगे कहा,’अगर नोबॉल पर फैसला बाद में बताया जाता है तो मैदानी अंपायर आउट के फैसले को रोक देगा और नोबॉल करार दे देगा. मैच के दौरान के अन्य फैसलों के लिए सामान्य की तरह मैदानी अंपायर जिम्मेदार होगा.’
अपने जानी बयान में आईसीसी ने इस तकनीक के इस्तेमाल के बारे में भी कहा,’ट्रायल के नतीजे का इस्तेमाल यह निर्धारित करने के लिए होगा कि इस प्रणाली का नोबॉल संबंधित फैसलों की सटीकता पर लाभदायक असर होता है या नहीं और क्या इसे खेल के प्रवाह में कम से कम बाधा पहुंचाए बिना लागू किया जा सकता है या नहीं.’
बता दें, आईसीसी ने सबसे पहले 2016 में इंग्लैंड और पाकिस्तान के बीच हुई वनडे सीरीज के दौरान इस तकनीक का इस्तेमाल किया था. आईसीसी ने अपनी क्रिकेट समिति के ज्यादा से ज्यादा सीमित ओवर के मैचों में इसके इस्तेमाल की सिफारिश के बाद फिर से इसके परीक्षण का फैसला किया.