लखनऊ विश्वविद्यालय के अभिनवगुप्त फैकल्टी ऑफ ऐस्थेटिक्स ऐण्ड शैव फिलासफी भवन में आज अभिनवगुप्त म्यूरल वॉल का अनावरण सुरेश भाई सोनी (सदस्य, अखिल भारतीय परामर्श मण्डल) तथा कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय द्वारा किया गया।
अभिनवगुप्त संस्थान की स्थापना लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कान्ति चन्द्र पाण्डेय द्वारा यूजीसी के सेन्टर आफ एडवांस्ड स्टडी के रूप में 05 अगस्त 1968 को की गयी थी।अभिनवगुप्त संस्थान की कोआर्डिनेटर डा. भुवनेश्वरी भारद्वाज ने अतिथियों का स्वागत करते हुए भित्ति-चित्र की संरचना और स्वरूप पर प्रकाश डाला।काश्मीर शैवतन्त्रागम, नाट्यशास्त्र, संगीत शास्त्र तथा स्वतंत्रकलाशास्त्र के अनन्य आचार्य के रूप में अभिनवगुप्त को बीसवीं शताब्दी में ऐतिहासिक अन्धकार से बाहर निकालकर पुनराविष्कृत करने का श्रेय प्रो. कान्ति चन्द्र पाण्डेय को प्राप्त है।
इस अवसर पर श्री सोनी ने बताया कि अभिनवगुप्त का दर्शन परलोक और जगत दोनों को महत्व देता है तथा पारमार्थिक के साथ ही साथ लौकिक उपलब्धियों के समन्वय पर भी बल देता है। वैदिक मंत्रोच्चारण और पुष्पवर्षा के बीच सुरेश सोनी तथा कुलपति ने म्यूरल वाल का अनावरण किया। इस अवसर पर अभिनवगुप्त संस्थान की कोआर्डिनेटर डॉ. भुवनेश्वरी भारद्वाज, प्रो. राकेश चन्द्रा, प्रो. पूनम टण्डन, प्रो. राकेश द्विवेदी, डॉ केया पांडे, डॉ. ओ. पी. शुक्ला, प्रो. संगीता साहू, डॉ. राजेश्वर प्रसाद यादव, डॉ. अलका मिश्रा, तथा बड़ी संख्या में छात्र छात्राएँ उपस्थित रहे।