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करीब 70 फीसदी छात्र ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था से वंचित, 40 फीसदी छात्रों के पास स्मार्ट फोन तक नहीं

लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार वर्ष 2017 से ही शिक्षा के प्रति उदासीनता का परिचय दे रही है। सत्र 2017, 2018 और 2019 में लगातार नौनिहालों की काॅपी किताबे 6 महीने बाद दी गयी, जोकि उदासीनता का ज्वलंत प्रमाण है। सत्र 2020 तथा 2021 कोरोना की भेंट चढ़ गये। कुल मिलाकर वर्ष 2017 से अब तक शिक्षा क्षेत्र में केवल नये नये प्रयोग करने की बाते की गयी और देश के भावी नागरिकों के साथ उनकी शैक्षिक जड़े कमजोर करने की साजिश की गयी।

श्री त्रिवेदी ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने स्कूल काॅलेजों के अतिरिक्त लगभग सभी क्षेत्रों में छूट दे रखी है जबकि कोरोना गाइडलाइन का पालन देखने वाले स्कूल और कालेज के अतिरिक्त किसी भी क्षेत्र में उपलब्ध नहीं हैं। स्कूल काॅलेज में शिक्षक और शिक्षिका लगातार बच्चों का निरीक्षण करते हैं और प्रधानाचार्य का भी प्रशासनिक स्तर पर योगदान रहता है जबकि अन्य स्थानों पर कथित उत्तरदायी लोग कोरोना गाइडलाइन के प्रति उदासीन रहते हैं।

मीडिया में रोज इससे सम्बन्धित खबरे देखी जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इस शिक्षा क्षेत्र की पीढ़ी के साथ इतना भद्दा मजाक क्यों कर रही है, जबकि स्कूल कालेजों के प्रबन्धक लगातार शिक्षण व्यवस्था प्रारम्भ करने की मांग करते चले आ रहे हैं। ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था से लगभग 70 प्रतिशत विद्यार्थियों को कोई लाभ नहीं हुआ है और लगभग 40 प्रतिशत विद्यार्थियों को स्मार्ट फोन उपलब्ध नहीं हो पाये हैं।

रालोद प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि सरकार की उदासीनता से आभास होता है कि इस पीढ़ी को अनपढ़ और निरक्षर बनाने की भावना बलवती हो रही है ताकि भविष्य में इन सबको शाखाओं में ट्रेनिंग देकर भाजपा भक्त बनाया जा सके। आने वाली शिक्षा नीति का मसौदा डबल इंजन की सरकारों द्वारा तैयार किया जा चुका है जिसके आधार पर पहली परीक्षा कक्षा 12 की होगी। जिसका स्पष्ट तात्पर्य है कि चतुर्थ श्रेणी की भी नौकरी की न्यूनतम योग्यता इण्टरमीडिएट की जायेगी जो अभी तक हाईस्कूल है। इस नई शिक्षा नीति को भी नई पीढ़ी के साथ साजिश की संज्ञा दी सकती है।

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