भारत को अनेकता में एकता का देश कहा जाता है. यहां कई तरह की बोलियां हैं, कई तरह की संस्कृति है और कई तरह के पहनावे देखने को भी मिलते हैं लेकिन हर समाज में आभूषणों को बहुत महत्व दिया गया है. भारत में ज्वेलरी को लेकर लोगों में एक अलग तरह का शौक देखा जाता है. महिलाओं में इसका और ज्यादा क्रेज देखने को मिलता है. कई जगहों पर सुहागन महिलाओं के लिए सोलह शृंगार का जिक्र किया गया है. इन्हीं शृंगारों में से एक है पैरों में पहने जाने वाली बिछिया. इसे ज्यादातर सुहागन महिलाएं पहनती हैं.
महिलाओं द्वारा बिछिया पहनने को लेकर अलग-अलग तर्क दिए जाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि पैर की दूसरी उंगली दिल और महिलाओं के गर्भाशय तक जाती है. बिछिया पहनने के बाद इस पर दबाव पड़ता है और रक्त का संचार ठीक हो जाता है. कुछ लोगों का मानना है कि पैर में बिछिया पहनने से महिलाओं का ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है. इसके अलावा अनियमित महावारी की शिकायत भी दूर हो जाती है. ऐसा कहा जाता है कि बिछिया एक्यूप्रेशर की तरह काम करती है.
अब सवाल यह है कि आखिर पैरों में पहने जाने वाली बिछिया चांदी की ही क्यों होती है? आपको बता दें कि हिंदू धर्म में सोने को माता लक्ष्मी से जोड़कर देखा जाता है. सोने की पूजा की जाती है. इसलिए भी तो औरतों को कमर के नीचे सोने के आभूषण पहनने की मनाही होती है. धर्म के जानकार बताते हैं कि कमर के नीचे सोने के आभूषण पहनने से माता नाराज हो जाती हैं. वहीं चांदी अच्छा सुचालक होता है जो शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है.