बड़े उद्योगपतियों और व्यापारियों से करोड़ों की रकम वसूलने का आरोपी संजय शेरपुरिया दिल्ली से डिफाल्टर घोषित होने के बाद गाजीपुर जिले में अपना नेटवर्क चुनाव लड़ने के लिये तैयार कर रहा था।
इसके लिये उसने गाजीपुर जिले में युवाओं को अपने से जोड़ना शुरू कर दिया था। कई युवाओं को मिलाकर एक टीम बना ली थी जो उसके आफिस में बैठकर कम्पनी का काम भी देखते थे।
तीन अपराधी,व्यापारी एसटीएफ की रडार पर एसटीएफ सूत्रों का कहना है कि गाजीपुर में तीन बदमाश व व्यापारी वहां पर शेरपुरिया की काफी मदद करते थे। ये तीन बदमाश कई बार जेल जा चुके है। इनके खिलाफ कई थानों में मुकदमे दर्ज हैं। गाजीपुर में एक बड़े नेता के विरोधी गुट से ये बदमाश जुड़े रहे हैं। एसटीएफ ने रकम दूसरों तक पहुंचाने में मददगार बने एक व्यापारी को रडार पर ले लिया है।
इन युवकों के निजी खर्चे भी शेरपुरिया ही उठा रहा था। इसका जिक्र दिल्ली गई विभूतिखंड पुलिस को कुछ दस्तावेजों में भी मिला है। एसटीएफ को भी कई सुराग मिले थे। दिल्ली और गुजरात में शेरपुरिया को साथ ले जाकर पड़ताल कर लौटी विभूतिखंड पुलिस ने ऐसी कई जानकारियां एसटीएफ को दी है।
पुलिस शेरपुरिया को रिमाण्ड अवधि में इन दोनों प्रदेशों में ले गई थी। एसटीएफ और एलआईयू की जांच में भी यह साबित हो चुका है कि संजय शेरपुरिया दिल्ली से काम समेट कर यूपी आ गया था। यहां गाजीपुर को केन्द्र बनाया था। एसटीएफ के एक अधिकारी का कहना है कि शेरपुरिया गाजीपुर में रहकर काम कर रहा था। चुनावी जमीन भी तैयार करने लगा था। शेरपुरिया के साथ लखनऊ से गाजीपुर तक युवकों का ब्योरा भी एसटीएफ बना रही है।