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फाइटर तेजस के बाद अब मेड इन इंडिया हेलीकॉप्टर

          वीरेंद्र बहादुर सिंह

एक समय था जब अपने को सेना के लिए छोटी से छोटी चीजवस्तु से लेकर फाइटर जेट, समुद्री जहाज, हेलीकॉप्टर, टैंक, मशीनगन, तोप-गोला से ले कर बुलेट तक विदेश से मंगानी पड़ती थी। पर अब अपना देश शस्त्रों और सैन्य सरंजाम में भी आत्मनिर्भर हो रहा है। अभी पिछले महीने ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने देश में ही बना अत्याधुनिक युद्धकजहाज आईएनएस विक्रांत देश को समर्पित किया था। अपना देश फाइटर तेजस तो कब से बनाने लगा था। टैंक भी अब भारत में ही बनते हैं।

इन सभी में अब अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर का भी समावेश हुआ है। दस मेड इन इंडिया हेलीकॉप्टर ‘प्रचंड’ सोमवार को देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने देश को अर्पण किए। भारत जिस तरह सैन्य सरंजाम बना रहा है, इस पर पूरी दुनिया की नजर है। देश की विदेशी मुद्रा का एक बड़ा हिस्सा हथियार खरीदने में चला जाता था। अगर देश में ही हथियार और अन्य सरंजाम बनने लगेंगे तो विदेशी मुद्रा तो बचेगी ही, साथ ही आर्थिक स्थिति को भी तेजी से बूस्ट मिलेगा। अमेरिका, रूस और चीन जो आगे आए हैं, इसका सब से बड़ा कारण यही है कि ये सभी देश हथियार बनाते हैं और बेचते है। भारत सेटेलाइट टेक्नोलॉजी और साइबर सेक्टर में काफी आगे है। अब सेना के लिए जरूरी उपकरण भी देश में उत्पादित होने लगा है। दुनिया के देश अब भारत से तेजस और अन्य सैन्य सरंजाम खरीदने लगे हैं।

नवरात्र में अष्टमी का विशेष महात्म्य होता है। हेलीकॉप्टर को सौंपने के लिए अष्टमी को ही विशेष रूप से चुना गया। इस हेलीकॉप्टर को प्रचंड नाम दिया गया है। देश विदेश को दस लाइट कोम्बेट यानी हलके लड़ाकू हेलीकॉप्टर समर्पित करते समय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि देश की सीमाओं की जरूरतों को देखते हुए अपने देश को इस तरह के हेलीकॉप्टर की बहुत जरूरत थी। अपने देश की सीमा चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल, भूटान और अफगानिस्तान के साथ जुड़ी है। श्रीलंका और मालदीव का समावेश भारत की इंटरनेशनल कोस्टल बार्डर में होता है। अपने देश की सीमाओं में जितनी विविधता है, इतनी मुश्किल शायद ही किसी देश की सीमाओं में होगी। हमारे देश की सीमाओं में आग की तरह लू बरसाने वाला रण है तो कहीं बीहड़ जंगल है तो कहीं समुद्र है तो कहीं पहाड़। पहाड़ों में हिमाच्छादित पहाड़ियों का समावेश है। इन सभी सीमाओं की जरूरतें अलग-अलग हैं।

1999 में कारगिल वाॅर के समय हमें इस तरह के हेलीकॉप्टर की आवश्यकता समझ में आई थी। उस समय अगर हमारे पास प्रचंड जैसा हेलीकॉप्टर होता तो पाकिस्तानी सेना द्वारा बनाए बंकरों को आसानी से उड़ाया जा सकता था। भारत में बने ये नए हेलीकॉप्टर दुश्मनों को मात दे कर पहाड़ों पर तेजी से पहुंचा जा सकता है।

हथियारों से सुसज्जित प्रचंड हेलीकॉप्टर पांच हजार किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ सकता है। इस साल मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सीसीएस यानी कैबिनेट कमेटी आन सिक्योरिटी की बैठक हुई थी। इस बैठक में 3887 के खर्च पर 15 हेलीकॉप्टर खरीदने का निर्णय लिया गया था। दस हेलीकॉप्टर एयरफोर्स के लिए और पांच आर्मी के लिए खरीदना था। उसमें से एयरफोर्स के लिए दस हेलीकॉप्टर मिल गए हैं। आने वाले समय में आर्मी के लिए भी पांच हेलीकॉप्टर मिल जाएंगे।

इन हेलीकॉप्टरों को हिंदुस्तान एयरोनाॅटिक्स लिमिटेड ने बनाए हैं। रण और पहाड़ों में उपयोग के लिए इसे विशेष डिजाइन से तैयार किया गया है। 1430 हार्सपावर के दो इंजन वाले इस हेलीकॉप्टर का वजन 5.8 टन है। वायुसेना को सुपुर्द करने से पहले इसके अनेक परीक्षण किए गए थे। परीक्षण के दौरान यह हेलीकॉप्टर सियाचीन में 13,600 से लेकर 15,800 तक की ऊंचाई तक पहुंचना इसकी सब से बड़ी उपलब्धि है। इस हेलीकॉप्टर का उपयोग किसी भी मौसम में किया जा सकता है। रात में इसकी इमरजेंसी लैंडिंग भी की जा सकती है। यह हेलीकॉप्टर दुश्मनों के राडार की पकड़ में भी नहीं आता।

यह हेलीकॉप्टर मिसाइल लांच करने की भी क्षमता रखता है। इसके अलावा एक मिनट में 750 गोलियां चला सकता है। 1750 किलोग्राम हथियार भी यह हेलीकॉप्टर ले जा सकता है। चीन और पाकिस्तान जो ड्रोन भारत की सीमा में उड़ाते हैं, उसे मार गिराने में यह हेलीकॉप्टर कारगर साबित होगा।

भारतीय सेना में तैनात दूसरे हेलीकॉप्टरों की बात करें तो हमारी सेना में अमेरिकी कंपनी बोइंग द्वारा बनाया 22 अपाचे हेलीकॉप्टर है। अमेरिकी बनावट के ही 15 ट्रांसपोर्ट हेलीकॉप्टर चिनुक भारत के पास हैं। इसके अलावा रशियन बनावट के 15 एमआई-24 हेलीकॉप्टर, 223 एमआई-17 हेलीकॉप्टर, एमआई-26 हेलीकॉप्टर, हिंदुस्तान एयरोनाॅटिक्स लिमिटेड के बनाए 120 ध्रुव हेलीकॉप्टर, फ्रांस के सहयोग से देश में बने 77 चेतक हेलीकॉप्टर और 17 चित्ता हेलीकॉप्टर भारत की सेना के पास हैं। दो साल पहले प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मनिर्भर होने की बात कही थी। उसके बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि सेना के लिए 101 से अधिक चीजवस्तुएं अब देश में ही बनेंगी। हम पहले कोफीन तक विदेश से आयात करते थे।

अब हम मिसाइलें भी बनाते हैं। हमारे लिए चीन और पाकिस्तान सब से बड़ा खतरा हैं। हम पाकिस्तान से तीन और चीन से एक युद्ध लड़ चुके हैं। चीन लद्दाख की सीमा से ले कर अरुणाचल प्रदेश की सीमा तक कोई न कोई हरकत करता रहता है। चीन अभी थोड़ा ठंडा है, पर उसका कोई भरोसा नहीं है। एक सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स के अनुसार, चीन जिस तरह ऐक्टिव है, उसे देखते हुए अपने देश को हमेशा रेड एलर्ट मोड में रहना होगा। भारत और चीन की सेना के बीच लद्दाख सीमा पर गलवान पहाड़ी पर 16 जून 2020 को जो हिंसक झड़प हुई, उसके बाद माहौल तनावभरा रहता है।

पाकिस्तान के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि फुलफेस्ड वाॅर करने की पाकिस्तान की मंशा नहीं है। दूसरी एक संभावना अपने देश के लिए एक बड़ी चुनौती जैसी है। वाॅर एक्सपर्ट्स का कहना है कि अब जब कभी भी युद्ध होगा, चीन या पाकिस्तान के साथ अकेले नहीं होगा, चीन और पाकिस्तान मिल कर लड़ेंगे। इसलिए भारत को हर मोर्चे पर सक्षम रहना होगा। यह कहने की जरूरत नहीं है कि भारत इस हमय वही कर रहा है।

 

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