यदि रूस यूक्रेन के बीच जंग हुए तो इस संकट के झटके भारत में भी आम आदमी द्वारा महसूस किए जाने की संभावना है क्योंकि आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि तय है. जबकि रूस यूक्रेन के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है.
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव पड़ने की आशंका बढ़ गई है. यदि दोनों देशों के बीच जंग हुई तो प्राकृतिक गैस से लेकर गेहूं तक कीमतें बढ़नी तय है. विशेषज्ञों का मानना है कि निकट भविष्य में विभिन्न पदार्थों की कीमतों में इजाफा होगा.
यूक्रेन-रूस संकट ने कच्चे तेल की कीमत को 96.7 डॉलर प्रति बैरल पहुंचा दिया है, जो सितंबर 2014 के बाद से सबसे अधिक है. रूस कच्चे तेल के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है.
अतीत में कच्चे तेल की ऊंची कीमतों ने पूरे भारत में पेट्रोल डीजल की कीमतों में वृद्धि में योगदान दिया है. देश ने 2021 में ईंधन की कीमतों के मामले में रिकॉर्ड ऊंचाई देखी है. यदि रूस-यूक्रेन संकट जारी रहता है, तो भारत पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि देख सकता है.
यदि काला सागर क्षेत्र से अनाज के प्रवाह में रुकावट आती है, तो विशेषज्ञों को डर है कि इसका कीमतों ईंधन खाद्य मुद्रास्फीति पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है. रूस दुनिया का शीर्ष गेहूं निर्यातक है जबकि यूक्रेन गेहूं का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है. दोनों देशों का गेहूं के कुल वैश्विक निर्यात का लगभग एक चौथाई हिस्सा है.
रूस पर प्रतिबंधों की आशंकाओं के बीच, पैलेडियम, ऑटोमोटिव एग्जॉस्ट सिस्टम मोबाइल फोन में इस्तेमाल होने वाली धातु की कीमत हाल के हफ्तों में बढ़ गई है. पैलेडियम का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश है.