राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल किसानों की समस्याओं को समझती हैं. वह कृषि आय बढ़ाने के प्रयासों को प्रोत्साहन देती है। अनेक अवसरों पर वह जैविक कृषि के प्रति किसानों को जागरूक करती हैं। कृषि विश्वविद्यालयों के कार्यक्रमों में भी वह विद्यार्थियों को भी किसानों का सहयोग देने का संदेश देती हैं। जिससे किसान उन्नत तकनीक से जुड़ कर अपनी आय बढ़ा सकें। इस संदर्भ में उन्होंने एक बार फिर कहा कि विश्वविद्यालयों को कृषि उद्योग को और आर्थिक प्रासंगिक बनाने की दिशा में अग्रसर होना चाहिए। ऐसे देश जिनके पास कृषि और पशुनस्ल सुधार की उच्च तकनीक है उन देशों में राजदूतों से सम्पर्क करके शिक्षण के परस्पर अदान-प्रदान, प्रोजेक्ट कार्य, एमओयू के माध्यम से जुड़कर शिक्षण के रोजगारपरक और विद्यार्थी तथा किसान हित में बहुउपयोगी बनाएं।
आनंदीबेन पटेल ने राजभवन से पं दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गौ अनुसंधान, मथुरा द्वारा ”राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: कृषि विश्वविद्यालयों में कार्यान्वयन” विषय पर आयोजित भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ के वार्षिक कुलपति सम्मेलन को आनलाइन सम्बोधित किया। कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुपालन में आपसी तालमेल के साथ नवाचार बढ़ाने पर जोर देते हुए विश्वविद्यालयों द्वारा विद्यार्थियों और किसानों के लिए हितकारी विभिन्न बिन्दुओं पर प्रोजेक्ट, शोध तथा आवश्यक निर्णयों को प्रभावी बनाने की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया। कहा कि उत्तर प्रदेश भारत की खाद्य टोकरी के रूप में विख्यात है। यहाँ कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, डेयरी आदि क्षेत्रों में बहुत सी सम्भावनाएं हैं। विश्वविद्यालयों को इन क्षेत्रों में बेहतर कार्य कर रहे देशों से तकनीक और शिक्षा के आदान-प्रदान से जुड़ने और प्रदेश के विद्यार्थियों को उच्च स्तर का विश्वस्तरीय ज्ञान और कौशल प्रदान करना चाहिए. विश्वविद्यालय स्तर से विद्यार्थियों और किसानों को जैविक खेती और मोटे अनाज के उत्पादन की जानकारी देनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि भूमि की सेहत और क्षमता को बचाना एक बड़ी चुनौती है, ऐसी स्थिति में हमें जैविक और गौ-आधारित खेती को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने मोटे अनाजों की विश्वस्तर पर बढ़ती मांग, इसके प्रयोग से स्वास्थगत फायदे और इसके उत्पादन में कम पानी की खपत का उल्लेख किया। इस प्रकार की खेती में यूरिया और दूसरे रसायनों की जरूरत नहीं पड़ती, इसलिए ये पर्यावरण के लिए भी बेहतर है.उत्तर प्रदेश के चार विश्वविद्यालयों में कृषि के साथ-साथ पशुपालन की शिक्षा भी दी जा रही है। इन परस्पर जुड़े उद्योगों को किसानों के मध्य भी प्रोत्साहित किया जाए, जिससे वे निरंतर आय का स्रोत प्राप्त कर सकें।
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कृषि में ड्रोन की उपयोगिता, जलवायु परिवर्तन के दृष्टिगत फसल की नई किस्मों के विकास और किसानों तक इनकी जानकारी पहुँचाने, भूजल संरक्षण के साथ-साथ हर जनपद में तालाबों और जल निकायों के संवर्द्धन और इसके महत्व पर भी चर्चा की। राज्यपाल ने कृषि की नवीनतक तकनीक, खाद्य प्रसंस्करण, डेयरी उत्पादों और पशुपालन की नवीनतम जानकारी और प्रशिक्षण के अधिकतम प्रसार की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि ऐसे प्रशिक्षण संचालित होने चाहिए जो किसानों और महिलाओं की आर्थिक उन्नति और रोजगार के साधन पैदा करे।
रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री