इजरायल बीते कई दशकों के सबसे बड़े संकट का सामना कर रहा है। हमास ने शनिवार को उस पर जो बर्बर हमला किया, उसमें 1000 से ज्यादा इजरायली मारे गए और 150 से ज्यादा लोग बंधक हैं। इसके चलते इजरायल को हमास से निपटने में मुश्किल आ रही है, जिसे उसने कभी बड़ी चुनौती नहीं समझा था।
लेकिन उसके आगे असल संकट यह खड़ा हो गया है कि हमास के अलावा दो और मोर्चों पर उसे जंग में उतरना पड़ सकता है। ये दो मोर्चे हैं, लेबनान और सीरिया। दोनों ही देशों से इजरायल कई बार युद्ध लड़ चुका है।
हमास के हमले के बाद लेबनान में सक्रिय आतंकी संगठन हिजबुल्लाह ने इजरायली टैंक को निशाना बनाते हुए मिसाइल दागी थी। उसने फिलिस्तीन के लोगों के साथ अपनी एकजुटता दिखाने के मकसद से ऐसा किया था। पहले भी इजरायल के खिलाफ जंगों का लेबनान हिस्सा रहा है। यही नहीं इजरायल पर हुए हमले के बाद तो लेबनान में कई जगहों पर मिठाई बांटी गई और जश्न भी मना। ईरान समर्थक हिजबुल्लाह की एक चौकी पर इजरायल ने रॉकेट भी दागा था। लेकिन हमास से जंग के बीच खुला यह मोर्चा मुश्किल तो बढ़ा ही रहा है। 2006 से ही इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच कई बार जंग हुई है। 1982 में ईरान रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने हिजबुल्लाह की स्थापना की थी।
सीरिया भी इजरायल एक ऐसा दुश्मन है, जो कभी भी मोर्चा खोल सकता है। सीरिया की ओर से थोड़ी फायरिंग भी इजरायल की ओर हुई है, जिसका जवाब नेतन्याहू की सेना ने दिया है। इजरायली सेना ने कहा कि हमारे इलाके में कई गोले दागे गए हैं। 1967 में इजरायल और अरब देशों के बीच 6 दिनों का भीषण युद्ध हुआ था। इस जंग के बाद ही इजरायल का सीरिया के गोलान हाइट्स इलाके पर कब्जा हो गया था। इसके कुछ और इलाकों को इजरायल ने अपने में मिला लिया था। हालांकि संयुक्त राष्ट्र इसे मान्यता नहीं देता।
फिर से उभर सकती है इजरायल से पुरानी दुश्मनी
ऐसे में सीरिया और लेबनान से इजरायल की पुरानी दुश्मनी फिर से उभर सकती है। इजरायल के लिए यह 1973 के बाद अब तक का सबसे बड़ा संकट है। गौरतलब है कि गाजा पट्टी पर 2007 से ही हमास का शासन है और वह कई बार इजरायल पर अटैक कर चुका है।