केंद्र सरकार ने निजीकरण से पहले एअर इंडिया को लेकर बड़ा फैसला लिया है। जानकारी के अनुसार निजीकरण के प्रस्ताव को देखते हुए सरकार ने कंपनी में व्यापक स्तर पर सभी नियुक्तियों और पदोन्नतियों को रोकने का निर्देश दिए है। सरकार ने कहा कि वह उड़ाने शुरू होंगी जोकि बहुत जरूरी तथा व्यावसायिक स्तर पर लाभकारी होंगी।
जानकारी देते हुए एक अधिकारिक सूत्र ने कहा कि यह निर्देश लगभग एक हफ्ते पहले आया है। इसके अनुसार आगामी निजीकरण को देखते हुए कोई बड़ा कदम नहीं उठाया जाना है। जिसके तहत नियुक्तियां और पदोन्नति भी रोक दी जाएंगी।’ यह निर्देश निवेश और जन संपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) ने दिया है। पिछले कार्यकाल में मोदी सरकार बोली लगाने वालों को ढूंढने के लिए नाकाम रही थी। इस बार सरकार एअर इंडिया को निजी हाथों में सौंपने के लिए तेजी से कार्य कर रही है।
सरकार ने निजीकरण की प्रक्रिया में निर्णय लेने के लिए मंत्रियों के समूह (GoM) को दोबारा गठित किया है। कंसल्टिंग फर्म ईवाई पहले से ही निजी बोली लगाने वालों को आमंत्रित करने के लिए प्रारंभिक सूचना ज्ञापन को अंतिम रूप देने के लिए काम कर रही है। एअर इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इस बार विनिवेश को लेकर कोई संदेह नहीं है, जिस गति से चीजें हो रही हैं, विमानन कंपनी का मालिकाना हक किसी निजी कंपनी के पास पहुंच जाएगा।
एअर इंडिया पर कुल लगभग 58,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। राष्ट्रीय विमानन कंपनी का संचयी नुकसान 70,000 करोड़ रुपये है। इसी साल 31 मार्च को खत्म हुए वित्त वर्ष में विमानन कंपनी को 7,600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। नागरिक विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इसी हफ्ते कहा था कि एअर इंडिया को बचाने के लिए उसका निजीकरण करना होगा, उन्होंने कहा था कि सरकार ऐसी विमानन कंपनी को चलाने के लिए तैयार नहीं है जहां संचालन संबंधी निर्णय प्रतिदिन लिए जाते हैं ना कि नौकरशाही प्रक्रिया या ठेका प्रक्रिया से। पुनर्गठित जीओएम के अध्यक्ष गृह मंत्री अमित शाह अगले कुछ सप्ताहों में एयर इंडिया के निजीकरण से संबंधित निर्णय ले सकते हैं।