लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने कहा है कि किसान पीछे नहीं हटेंगे और ना ही वापस जाएंगे, यह उनके सम्मान का विषय है। क्या सरकार कानून को वापस नहीं लेगी। क्या तानाशाही होगी ठंड की स्थिति में विरोध कर रहे अन्य दाताओं को लेकर सरकार अपने जिद पर अड़ी है। यदि सरकार जिद्दी है, तो अन्नदाता भी जिद्दी हैं।
श्री सिंह ने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था में 40 प्रतिशत योगदान देने वाले किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए सरकार अध्यादेश के जरिए कानून बना रही है। जो कानून बनाए गए हैं, उनसे किसानों से ज्यादा बड़े व्यापरियों और कंपनियों को लाभ होगा। सरकार जिसे किसानों की मुक्ति का मार्ग बता रही है दरअसल वही उनके लिए सबसे बड़ा बंधन बनने जा रहे हैं।
श्री सिंह ने आगे कहा कि किसानों के बीच सरकार 9 दौर की बातचीत कर चुकी है। जिसका कोई ठोस नतीजा केंद्र सरकार नहीं निकाल पाई है 10वे दौर में सरकार को किसानों की बात को मान लेना चाहिए, और 3 काले कृषि कानून को रद्द करके किसानों के हित में फैसला सुना देना चाहिए।
सरकार ने कृषि कानून सिर्फ पूंजीपतियों के फायदे के लिए बनाए गए हैं। इन कानूनों से किसानों का भारी नुकसान होने वाला है अगर सरकार इन कानूनों को रद्द करने के लिए तैयार नहीं होती है तो किसानों का आंदोलन और तेज होगा।सरकार को समझना चाहिए, किसान इस आंदोलन को अपने दिल में ले गया है और कानूनों को निरस्त करने से कम नहीं समझेगा।जब तक किसानों की मांगें नहीं मानी जाएंगी, तब तक किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहेंगे और इन कानूनों का विरोध करते रहेंगे।
सुनील सिंह ने कहा है कि किसान पीछे नहीं हटेंगे और ना ही वापस जाएंगे, यह उनके सम्मान का विषय है। क्या सरकार कानून को वापस नहीं लेगी। क्या तानाशाही होगी। अगर सरकार जिद्दी है तो किसान भी जिद्दी है, कानून को वापस लेना ही होगा।