वाराणसी। हनुमान जी में हृदय से भक्तिभाव रखने वाले लोग उनके प्रभाव को जानते है। कहते हैं कि इस कलयुग में हनुमान ही एक मात्र ऐसे भगवान् हैं जो भक्तों के कल्याण के लिए धरती पर विद्यमान हैं। धर्म की नगरी काशी में हज़ारों की संख्या में भक्तों ने गाजे बाजे के साथ विशाल ध्वजा यात्रा के साथ निकलते है और बड़े ही श्रद्धा भाव से ध्वज संकट मोचन जी महराज को समर्पित करते है।
ये भक्त संकट मोचन हनुमान मंदिर में जाकर हनुमानजी को तुलसी की माला, गुलाब की पंखुडियां, सिंदूर, केला, लड्डू, चना, अक्षत, धूपबत्ती समर्पित करते है साथ ही श्रीहनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुन्दर कांड का सस्वर पाठ कर अपने जीवन को धन्य बनाने की कामना करते है ।
ऐसे सजता हैं भक्तों का रेला
चैत्र मास के पूर्णिमा को हनुमान जयंती पर ब्रम्भ मुहूर्त से ही श्रद्धालुओं की भीड़ भिखारीपुर से 18 वर्षो से निकलने वाली शोभा यात्रा में हनुमान ध्वजा और आरती की थाल के साथ श्री हनुमत दरबार पहुचने का कतार लगना शुरू हुआ।
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सुबह के 7 बजे के साथ हनुमत सेवा समिति के सदस्य और पदाधिकारी अपने अतिथियों के सानिध्य में मुख रथ पर विराजे राम दरबार के षोडशोपचार पूजन के पश्चात मुख्य ध्वज और हनुमत की बाल स्वरूप की पालकी पर विराजे बाल हनुमान के पूजन के पश्चात शिव के सुमिरन और डमरु के डमडम के बीच शंखनाद के साथ भक्तों की कतार राम भक्त दरबार के ओर बढ़ना शुरू हुआ।इस शोभा यात्रा में सबसे पहले 70 फीट की मुख्य ध्वजा, जिसके बाद मुख्य रथ, पालकी और फिर महिलाओं की कतार, अलग अलग क्षेत्रों से शामिल कार्यालयों की झांकी और अंत में हजारों की संख्या मे हाथों में पताखा संग भक्तों का रेला।
भाईचारा और समभाव का संगम
हनुमत सेवा समिति के तत्वावधान में जाति-धर्म, ऊंच-नीच, भेदभाव और राजनीतिक स्वार्थ से ऊपर उठकर समाज, परिवार व देश कल्याण संग आपसी भाईचारे की भावना को विकसित करने के उद्देश्य से भिखारीपुर तिराहे से भव्य हनुमान ध्वजा शोभायात्रा निकाली जाती है जो भिखारीपुर तिराहे से नेवादा, सुन्दरपुर, नरिया, लंका होते संकटमोचन दरबार पहुँचती है।
शोभायात्रा में दूर दराज के शहरों सहित बनारस के कनकसराय, मिर्जापुर, रामसिंहपुर, अदलपुरा, कोनियां, डाफी, नुआंव, कंचनपुर, करौंदी, सुन्दरपुर, खोजवां, जानकी नगर, ककरमत्ता, शिवरतनपुर, जलालीपट्टी, दशमी के साथ ही प्रदेश के बाहर दिल्ली, मुम्बई, अहमदाबाद, सूरत आदि राज्यों से भी भक्त पहुंच के शोभा यात्रा में शमिल होकर अपने जीवन को धन्य बनाते है।
इस वर्ष का आकर्षण
इस वर्ष के यात्रा का पहला आकर्षण 75 फीट लंबा ध्वज था इस ध्वज पर जय श्री राम भगवान हनुमान लला की आकर्षक आकृति अंकित थी। जिसे समिति के सदस्य हनुमान लला के जयकारों के साथ फूल वर्षा करते हुए चल रहे थे।
इस यात्रा का दूसरा आकर्षण 70 फुट लम्बे वाहन जिसे मुख्य रथ कहा जाता है और इस पर मनोहारी झांकी सजी रहती है जिसपर श्रीसंकटमोचन मंदिर की प्रमुख कीर्तन मंडली रामनाम की अमृत वर्षा की जाती है ।
झांकी और आरती के आकर्षक थाल
इस यात्रा में 80 झांकियां शामिल रही. साथ ही परम्परागत वेशभूषा में आरती की थाली लिये पूरी श्रद्धा के साथ महिलाएं नंगे पाँव मंदिर पहुंची । जहां हनुमान लला की सामूहिक आरती और हनुमान चालीसा पाठ कर अपने गंतव्य के लिए रवाना हुई।
भक्तों का सैलाब
यात्रा में आस्था का सैलाब दिखा, जो सड़कों पर अपने आराध्य के ज़न्मोत्सव की मस्ती में मगन रहे। 20 मिनट के रास्ते को तीन घंटे में भक्त झूमते नाचते गाते पहुचे है संकट मोचन के दरबार में ,मान्यता है की इसी स्थान पर पवनपुत्र ने तुलसी दास जी को दर्शन देकर उन्हे राम चरित मानस पूरी करने की प्रेरणा दी।
भक्ति, शक्ति ही नहीं आनंद भी
यात्रा में भक्तों के जोश का अंदाजा यहाँ आकर ज़रूर हो जाता है। बड़ी संख्या में भक्त हाथों में लाल ध्वजा लेकर प्रभु को समर्पित करते हैं ध्वजा विजय का प्रतीक है और हनुमान विजय प्रदान करने वाले हैं, ऐसे में राम भक्त हनुमान और लाल ध्वजा का गहरा सम्बन्ध है।
हनुमान जी की ये ध्वजा यात्रा समरसता के साथ विश्व कल्याण की भावना को अपने भीतर समाहित करती है साथ ही पराक्रम के देवता हनुमान से यह प्रार्थना भी की जाती है कि की प्रभु सबका कल्याण करें।
रिपोर्ट-संजय गुप्ता