Breaking News

भारतीय डॉक्टर का कमाल: पेट के अंदर से स्किन निकाल कर बना दी जीभ

53 वर्षीय मरीज बेंगलुरु में ऑटो चलाते हैं. उनके जीभ पर दो महीना पहले घाव हो गया. उन्होंने इसको ठीक करने के लिए कई स्थानीय इलाज किये पर यह ठीक नहीं हुआ. वह बीड़ी-सिगरेट या तंबाकू का सेवन नहीं करते थे और इसीलिए इस घाव से उन्हें किसी बड़े खतरे की आशंका नहीं थी. जब उनका घाव ठीक नहीं हुआ तो उनके एक दोस्त ने उन्हें डॉक्टर सतीश सी के पास जाने को कहा जो शहर के ट्रस्टवेल अस्पताल में कैंसर की सर्जरी के विशेषज्ञ हैं.

डॉक्टर सतीश ने राजेश को सीटी स्कैन और घाव का बायोप्सी कराने को कहा जिससे पता चला कि जीभ का यह घाव कैंसर बन गया है और जीभ के आधे हिस्से में पसर कर उसके गले के नीचे लसीका पर्व तक फैला गया है. लसीका पर्व वह ग्रंथि है जो इम्यून सिस्टम का हिस्सा है. शरीर में अगर कहीं कोई संक्रमण होता है तो यह उससे लड़ता है. कैंसर को रोकने के लिए एक बड़ा सा ऑपरेशन किया गया और उसकी जीभ के दाहिने भाग का तीन-चौथाई हिस्सा निकाल दिया गया. गले के दोनों भाग में स्थित लसीका पर्व को भी निकाल दिया गया.

इसके बाद उनकी नई जीभ फिर से  5 मार्च 2021 को लगाया गया. इसे रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी कहा जाता है. सर्जरी करने वाले डॉक्टर सतीश ने कहा कि अमूमन मरीज के शरीर के बाहरी हिस्से के मांस का एक हिस्सा जीभ से जोड़ कर उसे सिल दिया जाता है. पर हमने इस मामले में इसका एक खास हल निकाला.

जीभ मानव शरीर की सबसे मजबूत मांसपेशी है. इससे मुख्यत: खाने और बोलने में मदद मिलती है. हम स्पष्ट रूप से बोल पाएं इसके लिए हमारी जीभ पर नमी का होना जरूरी है. शरीर के बाहरी हिस्से का स्किन जीभ पर लगा देने से मरीज को काफी असुविधा होती है. इस तरह के स्किन जो जीभ से सिले जाते हैं उन पर बाल उग आते हैं, क्योंकि इनमें हेयर फालिकल होते हैं. फिर इस तरह के स्किन काफी सूखी होती हैं और इसकी वजह से मरीज को हमेशा ही प्यास लगने का एहसास होता है. इन मुश्किलों से बचने के लिए हमने मरीज के पेट के अंदर से स्किन निकालकर और इससे उसके लिए एक नया जीभ बनाया. पेट के अंदर से निकाली गई स्किन को उलट दिया गया जो उसकी जीभ का बाहरी हिस्सा बना.

इसके बाद इस नए टिशू को उसके शेष बची 25 प्रतिशत जीभ से जोड़ दिया गया. यह जटिल ऑपरेशन 8 से 10 घंटे चली और सफल रही. सर्जरी के बाद मरीज को आईसीयू में रखा गया और अब वह पूरी तरह होश में आ चुका है. उसके जीभ पर जो स्किन की नयी परत चढ़ाई गयी है वह उसके जीभ की तरह ही लगती है और इस पर नमी भी बनी रहती है. मरीज खाना सामान्य तरीक़े से खा रहा है और वह स्पष्ट रूप से बोल भी रहा है. कर्नाटक में यह अपने तरह का अनोखा ऑपरेशन है और इसने ऐसे कई मरीजों को एक नयी आशा दिखायी है. मरीज ने अस्पताल के डॉक्टरों का धन्यवाद करते हुए कहा कि इस अस्पताल ने ऑपरेशन पर हुए खर्च में भी उसे काफी रहत दी है.

About Aditya Jaiswal

Check Also

अवध विश्वविद्यालय के इग्नू अध्ययन केन्द्र ने श्रमिको एवं ग्रामीणों के लिए चौपाल का किया आयोजन

• चौपाल कार्यक्रम में ग्रामीणो के साथ सरकारी योजनाओं को साझा किया गया अयोध्या। डाॅ ...