कोरोना ने दुनिया की बड़ी से बड़ी अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है. लेकिन कोरोना की आर्थिक चोट अमेरिका पर कुछ ज्यादा ही पड़ी है. अमेरिका पर वैश्विक कर्ज में तेजी से इजाफा हुआ है. यही नहीं, दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर कर्ज बढ़कर रिकॉर्ड 29 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच गया है.
अमेरिका पर मौजूदा समय में जितना कुल कर्ज है, वह भारत की GDP का लगभग 10 गुना है. लेकिन अमेरिका भारत का भी कर्जदार है और पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका पर भारत का कर्ज तेजी से बढ़ा है. फिलहाल अमेरिका पर भारत का कर्ज 21,600 करोड़ डॉलर यानी करीब 16 लाख करोड़ रुपये है.
गौरतलब है कि अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. अमेरिका की अर्थव्यवस्था भारत के मुकाबले करीब 7 गुना बड़ी है और यह 21 ट्रिलियन डॉलर की है. भारतीय इकोनॉमी फिलहाल 3 ट्रिलियन डॉलर के आसपास है. लेकिन अमेरिका पर जो कुल कर्ज है वह भारत की GDP का करीब 10 गुना है.
दरअसल, एक अमेरिकी सांसद ने जो बाइडेन प्रशासन को देश पर बढ़ते कर्ज भार को लेकर आगाह किया है. फिलहाल अमेरिका पर सबसे ज्यादा चीन और जापान का कर्ज है. साल 2020 में अमेरिका का कुल राष्ट्रीय कर्ज भार 23400 अरब डॉलर था. अब अमेरिका के राष्ट्रीय कर्ज को अगर वहां के 32 करोड़ लोगों में बांट दिया जाए तो देश के हर नागरिक के ऊपर लगभग 72309 डॉलर का कर्ज है.
अमेरिकी रिपब्लिकन सांसद Alex Mooney ने कहा कि अमेरिका ने सबसे ज्यादा चीन और जापान से लोन लिया है, जो उसका दोस्त भी नहीं है. अमेरिका के लिए चीन हमेशा से प्रतिस्पर्धी रहा है. दरअसल, अमेरिकी सांसद ने देश पर बढ़ते कर्ज के मद्देनजर 1.9 ट्रिलियन डॉलर के नए राहत पैकेज का विरोध किया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका पर ब्राजील का भी 258 बिलियन डॉलर का कर्ज है.
यहीं नहीं, अमेरिकी सांसदों ने यूएस कांग्रेस में जो रिपोर्ट रखी है, उसके मुताबिक हर अमेरिकी पर मौजूदा समय में करीब 84,000 डॉलर यानी 60 लाख रुपये से ज्यादा का कर्ज है. अमेरिकी सांसद एलेक्स मूनी ने कहा कि चीन का हम पर 1000 अरब डॉलर से अधिक का कर्ज बकाया है. वहीं जापान के भी 1000 अरब डॉलर से अधिक कर्ज हैं.
वर्ष 2000 में अमेरिका पर 6 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज था, जो ओबामा शासनकाल में दोगुना हो गया. और इसमें लगातार इजाफा हो रहा है. साल 2020 में अमेरिका पर कुल कर्ज बढ़कर रिकॉर्ड 29 लाख करोड़ डॉलर हो गया. अमेरिकी सांसद ने एक रिपोर्ट के हवाले से कहा कि वर्ष 2050 तक अमेरिका 104 ट्रिलियन डॉलर कर्ज और ले लेगा. यानी स्थिति और खराब हो सकती है.
अमेरिकी की इस आर्थिक स्थिति को लेकर कुछ विशेषज्ञ ट्रंप की खराब नीतियों को जिम्मेदार मानते हैं तो कुछ आर्थिक विशेषज्ञ कहते हैं कि इसके लिए बराक ओबामा और उनसे पहली की सरकारें जिम्मेदार रही हैं. ट्रंप प्रशासन में भी कर्ज घटने के बजाय बढ़ा था. हालांकि अब इन चुनौतियों से जो बाइडेन प्रशासन को सामना करना पड़ रहा है.