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टोक्यो में मिली निराशा, मानसिक द्वंद से पार पाकर किया प्रवेश, ऐसा रहा अंजुम मोदगिल का सफर

टोक्यो ओलंपिक में भारतीय निशानेबाजों का सफर अच्छा नहीं रहा था और उसे अंजुम मोदगिल भी शामिल थीं। अंजुम पिछले साल एशियाई खेल और विश्व चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम में जगह नहीं बना सकी थीं। इससे वह काफी निराश हो गई थीं, लेकिन उन्होंने मानसिक द्वंद से पार पाकर पेरिस खेलों में प्रवेश किया। मोदगिल ने स्वीकार किया कि विश्व चैंपियनशिप और एशियाई खेलों के लिए भारतीय टीम में नहीं चुने जाने के बाद उनकी आंखें खुल गई। इसके बाद उन्होंने अपनी मानसिक दृढ़ता और अभ्यास पर ध्यान दिया।

टोक्यो ओलंपिक में किया था निराश
मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों के महत्व को समझते हुए अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आइओसी) ने एक हेल्पलाइन शुरू की है जो ओलंपिक के दौरान सभी खिलाड़ियों को मानसिक स्वास्थ्य को लेकर परामर्श देगी। विश्व की पूर्व नंबर एक खिलाड़ी मोदगिल ने विश्व चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीते हैं लेकिन टोक्यो ओलंपिक में वह अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाई थीं। वह 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन में 15वें और 10 मीटर एयर राइफल में 18वें स्थान पर रही थीं। पेरिस ओलंपिक में वह केवल 50 मीटर 3 पोजीशन में भाग लेंगी।

‘टोक्यो का अनुभव काम आएगा’
अंजुम ने कहा, टोक्यो के बाद तीन साल मेरे लिए उतार-चढ़ाव वाले रहे। मैंने मुश्किल दौर देखा और मैं मजबूत वापसी करना चाहती थी। टोक्यो का अनुभव निश्चित रूप से पेरिस में काम आएगा। मैंने वास्तव में कोटा और ट्रायल्स का फायदा उठाया। महासंघ ने मुझे उम्मीद नहीं खोने के लिए कहा था। मैं जिस दौर से गुजर रही थी, वह उससे अच्छी तरह वाकिफ थे। विश्व चैंपियनशिप और एशियाई खेलों के लिए टीम में जगह नहीं बनाने के बाद मैं मजबूत वापसी करने के लिए आश्वस्त थी। मैंने केवल अपने खेल पर ध्यान दिया और मैं ट्रायल्स में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने को लेकर सकारात्मक थी। मुझे अपने मजबूत पक्ष पता थे और मैं जानती थी कि दबाव में कैसे खेलना है। इसका मुझे फायदा मिला।

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