Navi Mumbai। भारत भर में कोलोरेक्टल कैंसर (सीआरसी) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। कोलोरेक्टल कैंसर का प्रारंभिक चरण में पता लगाने और उसे रोकने के लिए अपोलो कैंसर सेंटर्स (Apollo Cancer Centres) ने एक व्यापक स्क्रीनिंग कार्यक्रम ‘कोलफिट’ (Colfit) लॉन्च किया है। मरीज़ों के जीवित रहने की दर में सुधार करना, उपचार की लागत को कम करना और देर से निदान की चिंताजनक समस्या को संबोधित करना इस पहल का उद्देश्य है। मौजूदा हालातों में खराब परिणामों और उच्च स्वास्थ्य देखभाल बोझ के यही प्रमुख कारण हैं। कोलोरेक्टल कैंसर ऐसी बीमारी है जो जल्द से जल्द पहचानी जाने पर रोकी जा सकती है और उपचार योग्य है। इसके बावजूद, भारत में सीआरसी के अधिकांश मामले उन्नत चरणों में पहचाने जाते हैं, जिसकी वजह से मरीज़ के जीवित रहने की दर कम होती है और उपचार का खर्च बढ़ जाता है।
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‘कोलफिट’ वृद्ध और युवा दोनों के लिए CRC स्क्रीनिंग का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करता है, बीमारी की प्रारंभिक पहचान के महत्व पर जोर देता है। भारत में CRC के लिए आयु-मानकीकृत दर (ASR) प्रति 100,000 पुरुषों पर 7.2 और प्रति 100,000 महिलाओं पर 5.1 है, जो काफी कम है। देश की आबादी एक अरब से ज़्यादा है, इस बात को मद्देनज़र रखते हुए मामलों की संख्या काफी ज़्यादा है। इससे भी चिंताजनक है, भारत में पिछले पांच सालों में CRC के लिए जीवित रहने की दर 40% से कम है – वैश्विक स्तर पर यह दर सबसे कम में से एक है।
कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षणों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। बॉवेल की आदतों में लगातार बदलाव (जैसे पुरानी दस्त या कब्ज़), मलाशय से रक्तस्राव या मल में रक्त, किसी भी खास कारण के बिना वजन घटना, और लगातार पेट की परेशानी आदि इसके लक्षण हैं। प्रमुख जोखिम कारकों में कम फाइबर वाला आहार, गतिहीन जीवन शैली, मोटापा, आनुवंशिक प्रवृत्तियां और परिवार में पहले किसी को सीआरसी होना आदि शामिल हैं। इन लक्षणों और जोखिम कारकों को पहचानना बीमारी का जल्द से जल्द पता लगाने और रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण है।
डॉ पुरुषोत्तम वशिष्ठ (Dr Purushottam Vashisth), सीनियर कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजी,अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई ने कहा, हमें कोलोरेक्टल कैंसर के लिए रिएक्टिव केयर से प्रोएक्टिव स्क्रीनिंग की ओर जाना चाहिए। खराब आहार, गतिहीन आदतें और मोटापा जैसे जीवनशैली कारक सीआरसी के बढ़ते मामलों की वजह हैं। ज़्यादा फाइबर वाला आहार, नियमित व्यायाम और सक्रिय जांच रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। कोलफिट के साथ, हम FIT के माध्यम से बीमारी की जल्द से जल्द पहचान को सुलभ बना रहे हैं, एक सरल, नॉन-इन्वेसिव परीक्षण जटिलताओं को काफी कम कर सकता है और परिणामों में सुधार कर सकता है।
डॉ दीपक कुमार गुप्ता (Dr Deepak Kumar Gupta), सीनियर कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई ने कहा, कोलोरेक्टल कैंसर अगर समय रहते पता चल जाए तो सबसे अधिक रोकथाम योग्य और उपचार योग्य कैंसर में से एक है। अपोलो कैंसर सेंटर्स व्यक्तियों, विशेष रूप से उन लोगों से आग्रह करता है जिनके परिवार में सीआरसी या लगातार लक्षण रहे हैं, कि वे नियमित जांच को प्राथमिकता दें। नियमित FIT परीक्षण, समय पर कोलोनोस्कोपी और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने जैसे सक्रिय कदम उठाने से कोलोरेक्टल कैंसर की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने और अनगिनत लोगों की जान बचाने में मदद मिल सकती है।