गुजरात विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने के बाद कांग्रेस में अब चुनाव प्रभारी अशोक गहलोत का संगठन में प्रभाव बढ़ेगा। इसी तरह से भाजपा के चुनाव में भी प्रभारी भूपेन्द्र यादव का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के सामने ग्राफ बढ़ा है। इस बार गुजरात का चुनाव भाजपा के लिए मुश्किल भरा था, लेकिन प्रभारी की हैसियत से यादव ने बूथ स्तर पर जो संगठन तैयार किया उसकी वजह से मतदान के समय भाजपा को फायदा पहुंचा। यादव ने सोशल मीडिया के माध्यम से भाजपा का प्रचार प्रसार किया। भूपेन्द्र यादव की तैयार रणनीति से पीएम मोदी ने इंटरनेट तकनीक के माध्यम से लाखों कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद किया। भारत ने यूपी चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाई। पार्टी के बड़े नेता भी मानते हैं कि यादव रात-दिन सक्रिय रहे। इसी प्रकार अशोक गहलोत को लेकर भी कांग्रेस में सकारात्मक सोच है। गहलोत की रणनीति की वजह से ही कांग्रेस इस बार मुकाबलों में रही। परिणाम के बाद खुद राहुल गांधी ने कहा कि वे निराश नहीं है। गहलोत की रणनीति की वजह से ही हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेबाणी जैसे युवा नेताओं का समर्थन कांग्रेस को मिला। हालांकि वर्तमान में भी गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हैं, लेकिन माना जा रहा है कि राहुल गांधी की नई कार्यकारिणी में गहलोत के महत्व को और बढ़ाया जाएगा। गहलोत और यादव का महत्व बढ़ने से देश की राष्ट्रीय राजनीति में राजस्थान का भी महत्व बढ़ेगा, क्योंकि ये दोनों नेता राजस्थान के ही हैं। इतना ही नहीं हो सकता है कि गहलोत को किसी दूसरे प्रांत से राज्यसभा में निर्वाचित किया जाये। इसके साथ भूपेन्द्र यादव को राजस्थान से ही दूसरी बार राज्यसभा में भेजा जाए।
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