गुजरात विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी अहमद पटेल और अशोक गहलोत की तिकड़ी इस बात से खुश हो सकती है कि इस बार कांग्रेस को गुजरात में 182 में से करीब 80 सीटें मिली हैं। इस चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत भी बढ़ा है। भाजपा को हराने के लिए गुजरात के लोकप्रिय युवा नेता हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी का सहयोग भी कांग्रेस ने लिया। पटेल समुदाय को आरक्षण का लाॅलीपाॅप पकड़ाकर भाजपा को हराने की कोई कसर नहीं छोड़ी गई। अहमद पटेल भले ही चुनाव प्रचार के दौरान सामने न आए हो, लेकिन गुजरात के मुस्लिम मतदाताओं को एकजुट करने में सक्रिय रहे। इतना ही नहीं अशोक गहलोत राहुल गांधी को गुजरात के हर शहर के मंदिर में ले गए। लेकिन कांग्रेस के इन सब प्रयासों पर अकेले नरेन्द्र मोदी ने पानी फेर दिया। जो नरेन्द्र मोदी लोकसभा के चुनाव में गुजरात के विकास माॅडल की बात रहे थे, उन्होंने प्रचार के अंतिम चरणों में पाकिस्तान तक का डर दिखा दिया। प्रधानमंत्री ने यह कहा कि पाकिस्तान अहमद पटेल को गुजरात का सीएम बनाना चाहता है। इससे पहले अय्यर ने भी पीएम मोदी पर जमकर हमला करते हुए जो शब्द कहे वह संवैधानिकता पर चोट करने के बराबर हैं। वहीं अगर चुनाव के हिसाब से देखा जाये तो कपिल सिब्बल का या मणिशंक्कर अयर का अपनी हद से बाहर आकर बयान देने के बाद पीएम मोदी ने अपने प्रचार अभियान को धीमा नहीं होने दिया। इसके साथ पीएम यदि इस स्तर पर आ कर प्रचार नहीं करते तो भाजपा के लिए भारी पड़ सकता था, जंग में जो जीता वो ही सिकंदर होता है। इसलिए यह बात कोई मायने नहीं रखती कि भाजपा को पूर्व के मुकाबले सीटें कम मिली हैं। कहा गया की जीएसटी की वजह से भी भाजपा हारेगी, सूरत के व्यापारियों ने तो भाजपा के उम्मीदवारों को प्रचार तक नहीं करने दिया। लेकिन परिणाम बताते हैं कि भाजपा सूरत शहर में भी जीती है। इसका कारण भी यही है कि मोदी ने सारा चुनाव स्वयं आगे बढ़कर लड़ा। मोदी ने यह दिखाया कि पाकिस्तान भी उन्हें हराना चाहता है। मोदी गुजरात के लोगों को यह समझाने में सफल रहे कि भाजपा के शासन में ही शांति रह सकती है। यदि कांग्रेस की सरकार बनी तो फिर से गुजरात की पहचान कफ्र्यू वाला प्रदेश बन जाएगी।गुजरात का मुस्लिम मतदाता भी नहीं चाहता था कि गुजरात की पहचान कफ्र्यू वाला प्रदेश हो। जिग्नेश मेवाणी का दलित, अल्पेश ठाकोर ओबीसी तथा हार्दिक पटेल का पाटीदार फेक्टर काम नहीं करता तो कांग्रेस को 80 सीटें नहीं मिलती। यह माना कि कांग्रेस ने भी मेहनत की, लेकिन इन तीनों युवाओं की वजह से कांग्रेस के वोट प्रतिशत में वृद्धि हुई। जहां तक हिमाचल का सवाल है तो भाजपा की जीत अपेक्षित थी। जहां 68 सीटों में से भाजपा का 44 तथा कांग्रेस को 21 सीटें मिली हैं। हिमाचल में कांग्रेस लगातार दूसरी बार सरकार बनाने से विफल रही है। वहीं गुजरात में भाजपा ने लगातार छठी बार सरकार बनाकर यह साबित कर दिया कि मोदी सरकार में ही जनता भला है।
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