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औरैया: जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए गुणा-भाग शुरू

औरैया। जिले में जिला पंचायत सदस्य पद के निर्वाचन के बाद अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित अध्यक्ष पद पर काबिज होने के लिए राजनीतिक दलों ने गुणा-भाग लगाना शुरू कर दिया है।

औरैया में जिला पंचायत अध्यक्ष का पद अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित हैं। मतगणना सम्पन्न होने के बाद बीते मंगलवार को आये चुनाव परिणाम के अनुसार जिले के 23 सदस्य पदों में समाजवादी पार्टी (सपा) के 10, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 05, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के 04 एवं 04 निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। निर्दलीय सदस्यों में दो समाजवादी पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़े थे जबकि दो अन्य हैं।

चार निर्दलीय में तीन यादव जाति के होने के कारण माना जा रहा है कि सपा आसानी से अध्यक्ष पद पर काबिज हो जाएगी। सपा के दस में से 06 सदस्य अनुसूचित वर्ग से जीते है और जिले में अध्यक्ष पद भी अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित होने के कारण प्रत्याशी के चयन पर पदाधिकारियों के बीच गहन‌ मंथन जारी है। हालांकि जिले के पार्टी पदाधिकारियों व नेताओं का कहना है पार्टी के मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जिस नाम पर अपनी मोहर लगा देंगे वहीं जिले का अगला जिला पंचायत अध्यक्ष होगा।

वहीं भाजपा भी जिले में अध्यक्ष पद पर काबिज होने के लिए छटपटाती नजर आ रही है। भाजपा के जिलाध्यक्ष श्रीराम मिश्रा का कहना है कि कोरोना से उसकी पार्टी के कई प्रमुख नेताओं के संक्रमित हो जाने व सदर विधायक रमेश दिवाकर की हुई मृत्यु के चलते सदस्य पद के चुनाव में पार्टी नेताओं ने कुछ दूरी बना ली थी, पर जिले में अध्यक्ष पर काबिज होने के लिए भाजपा पूरी दम-खम और सजगता से चुनाव लड़ेगी। वहीं बसपा द्वारा अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले गए हैं कि वह अपना प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारेगी या किसी अन्य प्रत्याशी को अपना समर्थन देगी। जिले में भाजपा व बसपा से एक-एक सदस्य अनुसूचित वर्ग से जीता है। जिसमें बिधूना प्रथम क्षेत्र से भाजपा के कमल सिंह दोहरे जबकि औरैया प्रथम से बसपा की वन्दना गौतम हैं।

वहीं सपा से अनुसूचित वर्ग के जीते छह में से तीन सदस्य अध्यक्ष पद के मुख्य दावेदार माने जा रहे हैं जिसमें रवि त्यागी, गोमती देवी बेरिया व भरत दोहरे खन्ना शामिल हैं। इसके अलावा अन्य तीन सदस्य विमला देवी दोहरे, ऊषा दिवाकर व अवनेश कुमार चक भी विभिन्न माध्यमों से अपनी पैरवी करा रहे हैं कि पार्टी उन्हें अध्यक्ष पद का चुनाव लड़वा दे।

कुल मिलाकर अध्यक्ष पद पर काबिज होने के लिए अभी से चुनावी चौसर बिछने लगी है। राजनीति दलों में गुणा-भाग के साथ जोड़-तोड़ के आंकड़े बैठाये जाने लगे हैं। देखना है कि भविष्य में होने वाले अध्यक्ष पद के ‌चुनाव में संख्या बल के आधार पर सपा का ही‌ कब्जा होता है या फिर जोड़-तोड़ कर अन्य दल बाजी मार ले जायेंगे।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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