चीन ने हाल ही में ताइवान की आजादी के धुर समर्थक माने जाने वाले लोगों को मौत की सजा देने की धमकी दी। इस पर पलटवार करते हुए ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने सोमवार को जोर देकर कहा कि लोकतंत्र नहीं, निरंकुशता अपराध है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
ताइवानी राष्ट्रपति से एक प्रेस कॉन्फ्रेस के दौरान जब चीन की धमकी पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा, मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि लोकतंत्र कोई अपराध नहीं है, निरंकुशता अपराध है। फोकस ताइवान की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति चिंग-ते ने कहा कि चीन के पास अपनी राय या रुख रखने वाले ताइवानी लोगों को दंडित करने का कोई अधिकार या अधिकार क्षेत्र नहीं है।
चिंग-ते ने कहा, चीन के तर्क के अनुसार एकीकरण का समर्थन न करना ताइवान की आजादी का समर्थन करने के बराबर है। इसलिए आप ताइवान से हों या चीन गणराज्य से हों, इन सभी का मतलब ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन करना है। उन्होंने आगे कहा, इसलिए सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों को सभी को एक साथ काम करना चाहिए और एकजुटता का प्रदर्शन करना चाहिए।
उन्होंने चीन से ताइवान के अस्तित्व को स्वीकार करने और ताइवान के लोगों द्वारा लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार में शामिल होने का आह्वान किया। राष्ट्रपति ने कहा, ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों किनारों पर लोगों के कल्याण की रक्षा करने का यही एकमात्र तरीका है। किसी भी अन्य रास्ते का मतलब है कि ताइवान और चीन के बीच संबंध खराब हो जाएंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने दक्षिण चीन क्षेत्र भारी बारिश से प्रभावित लोगों के प्रति संवेदना जताई और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि आपदा के बाद पुनर्निर्माण का काम अच्छी तरह से होगा। इससे पहले शुक्रवार को ताइवान की मुख्यभूमि मामलों की परिषद (एमएसी) ने चीन की धमकी की निंदा की। चीन ने ताइवान की आजादी के पैरोकारों को मौत की सजा के साथ दंडित करने की धमकी दी थी। एमएसी ने कहा था कि यह कदम से दोनों पक्षों के लोगों से लोगों के बीच संबंधों को नुकसानदेह हो सकता है।