वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चित्रकला विभाग द्वारा 27 जनवरी से 2 फरवरी तक राष्ट्रीय कला शिविर का आयोजन किया जा रहा है, जिसका विषय है “बनारस घाट: सौंदर्य और आध्यात्मिकता”। देशभर के अनेक क्षेत्रों से सहभाग कर रहे कलाकारों के साथ प्रख्यात कलाकार एवं कला दीर्घा, अंतरराष्ट्रीय दृश्य कला पत्रिका के संपादक और डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ के अध्यापक डॉ अवधेश मिश्र ने शिरकत की और अपनी चिर परिचित शैली में नाव पर अवस्थित बिजूका जो विश्वास और सुरक्षा का प्रतीक है, के रूप में काल भैरव को चित्रित किया है।
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उल्लेखनीय है कि बनारस में काल भैरव रक्षक के रूप में जाने जाते हैं। बनारस की गलियों और छोटे बड़े मंदिरों में प्रतिस्थापित बजरंगबली की मूर्ति भी पृष्ठभूमि में दर्शायी गई है। मंदिर, घाटों की सीढ़ियां, घंटी, शिवलिंग, उत्सव का प्रतीक झंडियां और सूर्योदय की लालिमा से लाल रंग में रंजित गंगा का पानी और चहचहाती चिड़िया इस चित्र के मुख्य विषय हैं जिससे बनारस का संगीत ध्वनित हो रहा है।
विद्यार्थियों और युवा कलाकारों के मध्य और उनके सहयोग से संपन्न हो रहे इस भव्य और अनुकरणीय पहल में विविध माध्यमों, शैलियों और प्रवृत्तियों का साहचर्य और उसकी व्यावहारिक प्रस्तुति देखते ही बन रही है जिसमें नागर और ग्रामीण सांस्कृतिक सुगंध भी प्रकारांतर से दर्शनीय है। यह अवधेश मिश्र द्वारा खेतों में खड़े विकास और संस्कृति के साक्षी विजूका पर आधारित रचे गए चित्र के माध्यम से अनुभूत की जा सकती है।
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अवधेश मिश्र इसके पूर्व देश विदेश में अनेक कला प्रदर्शनियां, संगोष्ठी और कार्यशालाएं आयोजित कर चुके हैं और कला दीर्घा, अंतरराष्ट्रीय दृश्य कला पत्रिका के संस्थापक संपादक हैं। वह पहला दस्तावेज, संवेदना और कला, कला विमर्श आदि पुस्तकों के लेखक और राष्ट्रीय ललित कला अकादमी नई दिल्ली की पत्रिका समकालीन कला के अतिथि संपादक हैं। अवधेश मिश्र कला जगत के अनेक सम्मान और पुरस्कारों से विभूषित प्रख्यात कलाकार हैं जो कला दीर्घा एवं द सैंट्रम, लखनऊ द्वारा 3 से 9 फरवरी तक आयोजित बसंत अखिल भारतीय कला प्रदर्शनी में सहभाग करेंगे।