अयोध्या धाम के प्रति भारत ही नहीं अनेक देशों के करोड़ों लोगों की आस्था है। गोस्वामी तुलसी दास ने इसका सुंदर उल्लेख किया है-
बंदउँ अवध पुरी अति पावनि।
सरजू सरि कलि कलुष नसावनि॥
महर्षि बाल्मीकि ने भी रामकथा पर भावपूर्ण रचना की है। रामायण के माध्यम से उन्होंने यह कथा जन जन तक पहुंचाई थी। जहां प्रभु अवतार लेते है,वह स्थल स्वतः तीर्थ बन जाता है। त्रेता युग से अयोध्या इसी रूप में प्रतिष्ठित रही।
मुगल काल में यहां मंदिर का विध्वंस हुआ। पांच सौ बर्षो तक जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की प्रतीक्षा व प्रयास होते रहे। अंततः गत वर्ष इसका समाधान हुआ।
पिछले अगस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर निर्माण हेतु भूमि पूजन किया था। यह ऐतिहासिक पर्व था। मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ भी हो चुका है। अयोध्या जी उत्तर प्रदेश में है। ऐसे में गणतंत्र दिवस समारोह के लिए वर्तमान समय में इससे भव्य झांकी कोई नहीं हो सकती है। श्री राम मंदिर की झांकी ने देश विदेश के करोड़ों लोगों को भाव विभोर किया है। पाँच शताब्दियों के सपना साकार हो रहा है।
इसमें प्रचीन भारत की संस्कृति और सभ्यता की झलक थी। यह वह समय था जब भारत विश्वगुरु था। राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने इस झांकी के प्रदर्शन को अत्यंत सराहनीय बताया है। भगवान राम का मंदिर और उनके स्वरूप की झांकी दिल्ली में परेड पर दिखाई गई। झांकी देखकर लोग प्रसन्न हुए। झांकी के अगले हिस्से में महर्षि वाल्मीकि की एक प्रतिमा बनाई गई थी।
इसके पीछे राम मंदिर की प्रतिकृति बनाई गई थी। इसके अलावा झांकी में अयोध्या में होने वाले दीपोत्सव की झलक भी दिखाई दी। झांकी में अयोध्या में होने वाले दीपोत्सव की झलक भी दिखाई दी। अयोध्या में भव्य दीपोत्सव का शुभारंभ योगी आदित्यनाथ ने किया था। अब यह परम्परा के रूप में ही स्थापित हो गया है। दीपोत्सव का वैश्विक कीर्तिमान भी कायम हुआ है। प्रतिवर्ष अयोध्या में दीपावली के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है। इस दीपोत्सव ने राम की नगरी अयोध्या को वर्तमान समय में नई पहचान दी है।