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मोटापे से पीड़ित मरीजों में हर्निया का बेहतर उपचार

लखनऊ। चिकित्सा विज्ञान में हुई हाल की तरक्कियों के कारण हर्निया के इलाज में अब तेज रिकवरी, पुनरावृत्ति की संभावना का खतरा नहीं, कम दर्द और बेहतर जीवन गुणवत्ता जैसी विशेषताएं जुड़ गई हैं। हालांकि बहुत आसानी से इसके लक्षण महसूस होने और डायग्नोस हो जाने के बावजूद उभार वाली जगह पर दर्द इतना तेज और गंभीर होता है कि इसका तत्काल इलाज कराने की जरूरत पड़ जाती है।
मैक्स हेल्थकेयर में लेपरोस्कोपिक, एंडोस्कोपिक और बैरियाट्रिक सर्जरी के चेयरमैन डॉ. प्रदीप चौबे ने कहा कि मोटापा, गर्भावस्था, भारी वजन उठाना, पुरानी कफ की समस्या, कब्ज और पेशाब करने में दिक्कत के कारण आंत पेट की दीवार की तरफ बढ़ सकती है और आंत का एक हिस्सा विकसित होकर गांठ में बदल जाता है। यही गांठ हर्निया कहलाती है।
हालांकि कई तरह की उपलब्ध उपचार पद्धतियों में ओपन और लेपरोस्कोपिक सर्जरी भी शामिल है लेकिन कुछ खास फायदे को देखते हुए मरीज लेपरोस्कोपिक सर्जरी ही चुनते हैं। हर्निया से पीड़ित जो मरीज मोटापे से भी पीड़ित होते हैं, उन्हें बैरियाट्रिक सर्जरी के जरिये पहले वजन कम कर लेने की सलाह दी जाती है। इसके बाद ही उन्हें हर्निया का आपरेशन कराना चाहिए क्योंकि अधिक वजन के कारण इसकी पुनरावृत्ति की संभावना अधिक रहती है।
हर्निया पेट की दीवार में आई एक तरह की गड़बड़ी है जिसमें पेट की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं जिस कारण गांठ या छेद हो जाता है। हर्निया पुरुष, महिला और बच्चों में से किसी को हो सकता है। कुछ हर्निया जन्मजात होते हैं, जबकि अन्य प्रकार के हर्निया समय के साथ विकसित होते हैं। इन्हें प्राइमरी हर्निया कहा जाता है। इस तरह के हर्निया पेड़ू और जांघ के बीच, पेट के निचले हिस्से में और मध्यवर्ती हिस्से में होते हैं।
जिस जगह पर सर्जिकल आपरेशन होता है, वहां विकसित होने वाले हर्निया को इनसिशनल हर्निया कहा जाता है।
उन्होंने कहा कि इसका दर्द बहुत तेज और अचानक भी हो सकता है या हल्का दर्द शुरू होने के साथ दिन का अंत आते—आते बढ़ता जाता है। हर्निया के सूजन वाले स्थान पर गंभीर और निरंतर दर्द, लाली और नरमी जैसे लक्षण बताते हैं कि आंत उलझ या दब गई है। ये लक्षण चिंता के कारण होते हैं और किसी फिजिशियन या सर्जन से तत्काल इलाज करा लेना ही अच्छा होता है।’

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