जनसंघ और भाजपा की यात्रा में लाल कृष्ण आडवाणी का योगदान बहुत महत्वपूर्ण रहा है। उनकी राजनीति भी बेमिसाल रही है। करीब आधी शताब्दी तक अटल जी आगे चलते रहे, आडवाणी स्वेच्छा से पीछे रहे। संगठन के कार्य में संलग्न रहे।
भाजपा सत्ता में पहुंची तब भी आडवाणी ने अटल जी को आगे कर दिया। खुद गृहमंत्री बने। छह वर्षों में कभी भी उन्होंने प्रधानमंत्री बनने की इच्छा नहीं की। यह राजनीति की बेमिसाल जोड़ी थी।
वह पार्टी को मजबूत बनाने और सरकार को अपेक्षित सहयोग करने की दिशा में सतत प्रयत्नशील रहे। लाल कृष्ण आडवाणी की विचार यात्रा भाजपा को सदैव प्रेरणा देती रहेगी।
आडवाणी की रथ यात्राओं ने भाजपा को नए मुकाम पर पहुंचाया था। लगभग पांच सौ वर्षों के बाद आज अयोध्या में राममंदिर निर्माण का सपना साकार हो रहा है। भूमि पूजन के बाद मंदिर निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। तीन तलाक, अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों को छूने का साहस कोई सरकार नहीं दिखा पाई थी। नरेंद्र मोदी ने इच्छाशक्ति दिखाई।
तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा, अनुच्छेद 370 समाप्त किया गया। इसी प्रकार नागरिकता संशोधन कानून भी लागू किया गया। जिससे पाकिस्तान,बांग्लादेश अफगानिस्तान के उत्पीड़ित बन्धुओं को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हुआ। इसके अलावा दीनदयाल उपाध्याय के अन्त्योदय पर आधारित गरीब कल्याण की योजनाओं के द्वारा करोड़ों गरीब लोगों के जीवन में परिवर्तन लाने का काम भी हुआ है।
भाजपा की सरकारें सुशासन के प्रति समर्पित रहती हैं क्योंकि यही उनकी विचारधारा है। भाजपा इसी विचारधारा पर आधारित पार्टी है। दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद को साकार करने का काम भाजपा ने ही किया। उसकी सरकारें अनवरत इस दिशा में प्रयास कर रही हैं। भाजपा समाज के आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति के विकास की बात करती है। उनको मुख्यधारा में शामिल करने का प्रयास करती है।
इसके लिए अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया गया है। संगठन संरचना की दृष्टि से भी भाजपा अलग दिखाई देती है। उसका विरोध करने वाली पार्टियां परिवार आधारित है। वामपंथी अवश्य परिवार आधारित नहीं थे। लेकिन जनभावना को समझने और भारतीयता की दृष्टि को अपनाने में नाकाम रहे। इसलिए इनकी प्रासंगिकता समाप्त होती जा रही है। जन्म दिवस पर मंगल कामना!